एनडीए सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली है. इसके बदले उन्हें हल्की जेड प्लस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी. हालांकि सरकार के इस कदम पर विवाद भी छिड़ गया है. ये मुद्दा फिर गर्म हो गया है कि क्या पूर्व प्रधानमंत्रियों की एसपीजी सुरक्षा हटाई जानी चाहिए. दरअसल 1989 में वीपी सिंह की सरकार ने राजीव गांधी से एसपीजी सुरक्षा ले ली, जिसका परिणाम ये हुआ कि लिट्टे से जुड़े आतंकी उन्हें आसानी से श्रीपेरंबदुर में अपना शिकार बना सके.
फिलहाल देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को एसपीजी सिक्यॉरिटी मिली हुई है. ये सुरक्षा प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों (माता-पिता, पति/पत्नी, बच्चे) को मिलती है.
एसपीजी का ढांचा पहले बहुत सीमित था लेकिन अब ये काफी बड़ा हो चुका है. कभी 819 की स्वीकृत संख्या से शुरू हुआ एसपीजी आज करीब दस हजार अधिकारियों और जवानों का दल है, जिन्हें लंबी-चौड़ी ट्रेनिंग और खास किस्म की चयन प्रक्रिया के बाद केंद्रीय और राज्य पुलिस इकाइयों से छह साल के लिए डेपुटेशन पर लिया जाता है.
हालांकि राजीव गांधी की हत्या के दौरान उनकी सुरक्षा को लेकर भी विवाद की स्थिति है. जिस वक्त राजीव गांधी की हत्या हुई, उस वक्त उनकी सुरक्षा की व्यवस्था क्या थी. 1989 में जो चुनाव हुए, उसमें कांग्रेस की करारी हार हुई. राजीव गांधी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई. 2 दिसंबर 1989 को राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद छोड़ा, वीपी सिंह देश के नए प्रधानमंत्री बने.
वीपी सिंह की सरकार ने अगले तीन महीने तक राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा बहाल रखी. वैसे कहा जाता है कि उस समय स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी का कानून इसके खिलाफ था. इसके बाद ये सुरक्षा उनके पास से हटा ली गई. जिसके चलते उनकी सुरक्षा की परतें कमजोर पड़ गईं थीं. हालांकि बाद में कई उदाहरणों के साथ ये भी कहा गया कि जिस समय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एसपीजी सुरक्षा दी गई, तो वो इसे बार बार सार्वजनिक स्थानों पर तोड़ देते थे.
एसपीजी यानि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का गठन 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद किया गया था. संसद ने 1988 में इसे लेकर एसपीजी एक्ट पास किया था. उस वक्त ये व्यवस्था की गई कि सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार को ही एसपीजी की सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी, न कि किसी और को. उस वक्त भी ये बहस चली थी कि एसपीजी के दायरे में पूर्व प्रधानमंत्रियों को लाया जाए.
साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद SPG एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसके तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजनों के लिए कम से कम 10 साल एसपीजी सुरक्षा देने का प्रावधान लाया गया.
1994 में एसपीजी कानून में दूसरा संशोधन किया गया. इसके तहत पांच साल की जगह दस साल तक एसपीजी कवर पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार वालों को देने का नियम बनाया गया. ये भी सोनिया गांधी और उनके बच्चों को ध्यान में रखकर ही किया गया. अगर ये संशोधन नहीं किया जाता, तो उनकी एसपीजी सुरक्षा छिन जाती.
हालांकि बाद में साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा किए गए एक संशोधन के तहत ऑटोमेटिक प्रोटेक्शन की यह 10 साल की समयसीमा बदल दी गई. नए संशोधन के तहत यह समयसीमा ”प्रधानमंत्री के पद छोड़ने के बाद 1 साल तक और खतरे की आशंका होने पर (केंद्र सरकार के फैसले पर) एक और साल तक” कर दी गई. यही स्थिति अभी लागू है.
क्या है एसपीजी
विशेष सुरक्षा दल एक विशेष सुरक्षा बल है. ये भारत के प्रधानमंत्री, उनके परिवार, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार, पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए उपलब्ध कराई जाती है. एसपीजी सीधे केंद्र सरकार के मंत्रिमंडलीय सचिवालय के अधीन है.ये आसूचना ब्यूरो(आईबी) के अंतर्गत उसके एक विभाग के रूप में कार्य करती है. ये देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बालों में एक है.
एसपीजी में सेलेक्शन कैसे होता है
एसजीपी का मुकाबला अमेरिकन राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाली ‘US Secret Service’ से होता है. इन जवानों का चयन पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स (BSF, CISF, ITBP, CRPF) से किया जाता है. यह बल गृह मंत्रालय के अधीन है.
ये किन हथियारों और उपकरणों से लैस होते हैं
ये एक फुली ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं. कमांडोज के पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है. कमांडो अपनी सेफ्टी के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं. साथी कमांडो से बात करने के लिए कान में लगे ईयर प्लग या फिर वॉकी-टॉकी का सहारा लेते हैं.
यहां तक की इनके जूते भी काफी अलग होते है जो किसी भी जमीन पर फिसलते नहीं हैं. साथ ही इनके हाथों में खास तरह के दस्ताने होते है जो कमांडो को चोट लगने से बचाते हैं. यह कमांडोज चश्मा भी पहनते हैं, जो उनकी आखों को हमले से बचाते हैं और किसी भी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन नहीं होने देता हैं.