बिश्नोई समाज ने सालों से चली आ रही मृत्युभोज की प्रथा पर पाबंदी लगाकर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए वक्त के साथ कदमताल की है। इस कुप्रथा के खात्मे की शुरूआत जिले के गांव बुर्जभंगु से की गई। गांव में गत दिवस भगवानदास बैनीवाल पुत्र बीरबल राम बैनीवाल की मृत्यु हो गई। गांव में उनके परिवार के लगभग 50 घर व ढाणियां हैं।
इस संबंध में पूर्व सरपंच अजमेर सिंह बैनीवाल की अध्यक्षता में इन सभी परिवारों ने बैठक की। इस दौरान पूरे परिवार ने एकमत से निर्णय लिया कि आज के बाद भविष्य में मृत्युभोज जैसी कु प्रथा आयोजित नहीं करेंगे और शोक भी अलग-अलग स्थानों की बजाए एक स्थान पर 7 दिन के लिए रखा जाएगा। बिश्नोई सभा सिरसा ने बैनीवाल परिवार के मृत्यु-भोज बंद करने के साहसिक एवं ऐतिहासिक निर्णय की प्रशंसा की है और समाज के अन्य बंधुओं से भी इस निर्णय का अनुकरण करने पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया।