Home समाचार इन रहस्यों को सुलझाने में वैज्ञानिक जोड़ लेते हैं हाथ, पढ़कर खुद...

इन रहस्यों को सुलझाने में वैज्ञानिक जोड़ लेते हैं हाथ, पढ़कर खुद कहेंगे सहीं कहा आपने

76
0

लेपाक्षि (अनंतपुर) में भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य के अन्तर्गत के अनंतपुर जिले का एक गाँव है। यह हिन्दुपुर से 15 किमी पूर्व में तथा बंगलुरु से 120 किमी उत्तर में स्थित है। यह स्थान सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहाँ विजयनगर साम्राज्य के काल (1336-1646) में निर्मित शिव, विष्णु एवं वीरभद्र के कई मन्दिर हैं।
आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही पहेलियों के बारे में जो आज भी सभी के लिए अबूझ बनी हुई हैं। जिन्हें सुलाझने की वैज्ञानिकों ने बहुत कोशिश की लेकिन सुलझा नहीं सका है।
1.लटकते खम्भे का रहस्य – वीरभद्र मंदिर (आंध्र प्रदेश)
वीरभद्र मंदिर वास्तुशिल्प शैली का एक शानदार नमुना है। यहां पर विशाल नंदी मूर्ति, फ्रेस्को पेंटिंग्स और नक्काशी जैसे आकर्षक फीचर्स के अलावा, इसके लटकते खंभे जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं। कुल मिलाकर, मंदिर में 70 खंभे हैं। हालांकि, दूसरों के विपरीत, उनमें से एक जमीन के संपर्क में नहीं आता है। ऐसा माना जाता है कि खंभे के आशीर्वाद के लिए नीचे कुछ स्लाइड करके आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
2. महाबलीपुरम की बेलेंसिंग चट्टान (तमिलनाडु)
यहां खड़ा ये पत्थर भगवान कृष्ण का मक्खन का मटका था जो आसमान से गिरा है। अब यह महाबलीपुरम में एक विशाल चट्टान के रूप में ऐसी ढलान पर रखा है जिसे देखकर लोग चौंक जाते हैं। देखने पर लगता है कि यह पत्थर कभी भी लुढ़क सकता है। ये चट्टान लगभग 20 फीट ऊंची होने का अनुमान है। इसे देखने पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। आगंतुक यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि इतनी विशाल चट्टान आखिर किस तरह ढलान पर स्थिर रह सकती है। आपको बता दे कि 1908 में अंग्रेज हुकूमत ने डर के मारे इस चट्टान को यहां से हटाने का प्रयास किया था कि लेकिन प्रयास व्यर्थ हो गया। यह चट्टान आज भी ऐसे ही रखी है।
3.निराश पक्षियों का रहस्य (असम)
पूर्वोत्तर में असम के जातींगा गांव में मानसून बीत जाने के बाद एक ऐसा आवरण बनता है की स्थिति धुंध पड़ने के समान हो जाती है। कहते हैं यहां के स्थानीय और प्रवासी पक्षियों में एक अजीब व्यवहार परिवर्तन देखने को मिलता है। घाटी के सारे परिंदे इस समय विचलित हो जाते हैं और रोशनी की ओर खींचे जाते हैं। लेकिन ये परिंदे इस घाटी से बाहर निकल ही नहीं पाते। थक-हारकर फिर ये जमीन पर उतर जाते हैं।