पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर आइएनएक्स मीडिया मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही. दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा इस केस में अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है. फिलहाल वो अंडरग्राउंड हैं. सीबीआई उनकी तलाश में छापेमारी कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी अग्रिम जमानत याचिका पर राहत देने से इनकार कर दिया है.
दरअसल, चिदंबरम पर शिकंजा कसने के पीछे इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के दिए गए बयान हैं. आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर्स मुखर्जी दंपती फिलहाल शिना बोरा हत्याकांड में मुख्य आरोपी हैं और जेल में हैं. मुखर्जी दंपती का बयान ही आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस नेता के खिलाफ जांच एजेंसियों का मजबूत आधार बना.
हाल ही में इस मामले में इंद्राणी मुखर्जी सरकारी गवाह बनी थी. जानकारी के मुताबिक, इंद्राणी ने जांच एजेंसी को दिए बयान में कहा कि आइएनएक्स मीडिया की अर्जी फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड के पास थी. इस दौरान उन्होंने पति पीटर मुखर्जी और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ पूर्व वित्त मंत्री के दफ्तर में जाकर मुलाकात की थी.
ईडी को दिए अपने बयान में उन्होंने कहा कि पीटर ने चिदंबरम के साथ बातचीत शुरू की और आईएनएक्स मीडिया की अर्जी एफडीआई के लिए है और पीटर ने अर्जी की प्रति भी उन्हें सौंपी. एफआईपीवी की मंजूरी के बदले चिदंबरम ने पीटर से कहा कि उनके बेटे कार्ति के बिजनस में मदद करनी होगी. इस बयान को ईडी ने चार्जशीट में दर्ज किया और कोर्ट में भी इसे सबूत के तौर पर पेश किया गया.
ईडी ने कोर्ट को दी जानकारी में कहा कि इंद्राणी ने पी. चिदंबरम को कितनी रकम रिश्वत के तौर पर दी, इसका खुलासा नहीं किया है. ईडी के मुताबिक, 2008 में एपआईपीबी की मंजूरी में जब अनियमितताओं की बात सामने आई तो पीटर ने फिर से वित्त मंत्री चिदंबरम से मिलने की कोशिश की. मुलाकात नहीं होने पर पीटर ने पी चिदंबरम के बेटे कार्ति से सलाह और मदद मांगी थी.
इंद्राणी ने अपने बयान में कहा कि वो अफने पति के साथ दिल्ली के एक होटल में कार्ति से मुलाकात की थी. कहा कि कार्ति ने इस मामले को सुलझाने के लिए 10 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर मांगे. ये रकम उनके किसी ओवरसीज बैंक अकाउंट या असोसिएट के बैंक अकाउंट में जमा करने को कहा.
इंद्राणी ने कहा कि ओवरसीज ट्रांसफर संभव नहीं है तो कार्ति ने दो फर्म चेस मैनेजमेंट और अडवांटेज स्ट्रैटिजिक में पेमेंट का सुझाव दिया. मामले में इंद्राणी मुखर्जी ने सरकारी गवाह बनकर पूरे खेल का भंडाफोड़ कर दिया. तभी से चिदंबरम की गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी.
कहा जाता है कि विदेशी निवेश की आड़ में फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड(एफआइपीबी) में चल रहे गोरखधंधे का खुलासा शायद कभी नहीं हो पाता यदि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के सिलसिले में एयरसेल मैक्सिस डील की जांच शुरू नहीं होती. एयरसेल मैक्सिस डील मामले में भी कार्ति चिदंबरम आरोपी हैं. ये डील भी पी चिदबंरम के कार्यकाल में हुई थी.