भारतीय सेना अपने 27,000 सैनिकों की छंटनी करने पर विचार कर रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, छंटनी से इंडियन आर्मी करीब 1600 करोड़ रुपए बचाना चाहती है. हालांकि जिन सैनिकों की छंटनी किए जाने की बात की जा रही है, वह आर्मी की रेगुलर फील्ड फॉर्मेशन और यूनिट का हिस्सा नहीं है. वह सिर्फ संगठन के स्तर पर काम करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, सेना की संगठन यूनिटों यानि मिलिट्री इंजीनियर सर्विस(MES), नेशनल कैडेट कोर्प्स(NCC), बोर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन(BRO), टेरीटोरियल आर्मी और सैनिक स्कूल आदि के सैनिकों की छंटनी पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा सेना के ऑपरेशन के लिहाज से महत्वपूर्ण असम राइफल्स, राष्ट्रीय राइफल्स और स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के भी सैनिकों की भी छंटनी पर विचार चल रहा है.
सेना की संगठन यूनिटोंं में करीब 1,75,000 सैनिक काम करते हैं. ये सैनिक सेना की सामान्य स्टैंडिंग आर्मी का हिस्सा नहीं है. ये अन्य नॉन कोर एक्टिविटीज से जुड़े होते हैं. इन्हीं यूनिटों से 27,000 सैनिकों की छंटनी पर विचार हो रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, यह छंटनी सेना को आधुनिक बनाने के लिए की जाएगी. गौरतलब है कि आर्मी में इस समय लगभग साढ़े बाहर लाख सैनिक और अधिकारी कार्यरत हैं. सेना को और मजबूत, मारक और प्रभावशाली बनाने के लिए इसके साइज में कुछ कटौती करने की कोशिश की जा रही है. जिससे सेना के बजट का ज्यादा हिस्सा आधुनिक बनाने पर खर्च किया जा सके.
रिपोर्ट के अनुसार, अभी सेना के बजट का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा सैलरी और दिन-प्रतिदिन के खर्चे पूरे करने में ही इस्तेमाल हो जाता है. सेना के आधुनिकीकरण के लिए काफी कम बजट बचता है. रिपोर्ट के अनुसार, सेना ने इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए रक्षा मंत्रालय के पास भेजा है. आने वाले 6-7 सालों में सेना अपने कार्यबल में 1.5 लाख सैनिकों की छंटनी करने की योजना बना रही है. इससे सेना को हर साल 6000-7000 करोड़ रुपए की बचत होगी.