जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति व राज्य के पुनर्गठन के बाद से सिर्फ शीतकालीन राजधानी श्रीनगर में व्यापारी समुदाय को लगभग एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) के एक सदस्य के अनुसार, पाबंदियों के चलते कश्मीर में व्यापार का औसतन 175 करोड़ रुपये प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है। अधिकारियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। बकरीद के त्योहार पर समृद्ध व्यापार की आस लगाए लोगों में सबसे ज्यादा नुकसान पशुओं का व्यवसाय करने वालों के साथ बेकरी वालों को व्यापक पैमाने पर आर्थिक चोट पहुंची है। क्योंकि लोग खरीदारी करने के लिए अपने घरों से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। साथ ही बेकरी मालिकों को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि उनके उत्पादों की लाइफ कम होती है और घाटी में पिछले एक सप्ताह से प्रतिबंध लागू हैं।
बेकरी वालों को झटका
शहर के करण नगर इलाके के एक बेकरी व्यवसायी ने बताया कि अकेले उसका लगभग एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उसने बताया कि 50 लाख रुपये के कीमत के सामान की सूची उसके पास है। उस पर 20 लाख रुपये की लागत अतिरिक्त है। चूंकि बिक्री का कोई साधन नहीं बचा है, इसलिए व्यापार के लिए लिया गया धन उसके व्यवसाय की कमर तोड़ देगा। हालांकि शहर के सिविल लाइंस क्षेत्र में कुछ बेकरी चल रही थीं परंतु, शहर के आउटलेट्स को खोलने की इजाजत अधिकारियों की ओर से नहीं मिली।
पुंछ का व्यापारी सिर्फ 15 बकरियां ही बेंच पाया पुंछ के रहने वाले एक पशु व्यापारी बशीर अहमद बकरीद के मौके पर कुछ कमाने के उद्देश्य से बकरियों, भेड़ों के झुंड के साथ कश्मीर आए थे, लेकिन उन्होंने कहा कि हो सकता है इनमें से अधिकांश को अपने साथ वापस ले जाना पड़े। बशीर के अनुसार, पिछले साल इस समय तक उसने अपने सभी पशु बेच दिये थे और त्योहार मनाने के लिए परिवार के पास घर जा रहा था। जबकि इस बार 200 में से कुल 15 बकरियों को ही बेचा है। इस बार आवाजाही पर प्रतिबंध होने के कारण पशुओं के लिए चारा जुटाना मुश्किल हो रहा है। शनिवार को प्रतिबंध में मिली राहत से उम्मीद बंधी थी कि रविवार और सोमवार को थोड़ी बिक्री बढ़ जाएगी परंतु सारी उम्मीदें समाप्त हो चुकी हैं। अब वह सोमवार की सुबह बचे हुए जानवरों के साथ पुंछ की ओर रवाना होगा
कपड़े की दुकानों पर भी सन्नाटा
लाल चौक के एक रेडीमेड कपड़ा व्यवसायी मोहम्मद यासीन का कहना है कि वह हजरत बल स्थित अपने घर से दुकान पर तीन दिन से पैदल चल कर इस उम्मीद से आता है कि कुछ कपड़े बेंच लेगा परंतु परिस्थितियां इतनी अनिश्चित हैं कि लोग मानसिक रूप से ईद मनाने के लिए तैयार ही नहीं हो पा रहे है। कश्मीर प्रत्येक वर्ष त्योहार पर नए कपड़े खरीदने की परंपरा को निभाता आ रहा है, परंतु इस बार शायद लोग तैयार नहीं हैं। टीआरसी क्रासिंग से पोलो व्यू तक सेकेंड हैंड सामान बेचने वाले विक्रेता भी पाबंदियों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस बार उन्हें ईद की पूर्व संध्या पर अपने स्टाल लगाने की अनुमति नहीं दी गई है।
संडे बाजार भी पाबंदियों की चपेट में
रविवार बाजार घाटी के सामान्य वर्ग के लोगों के बीच सर्वाधिक पसंद किए जाने वाला बाजार है। यहां बड़े ब्रांड के कपड़े जो किसी कारण से रिजेक्ट हो जाते हैं वह यहां काफी कम कीमत पर उपलब्ध होते हैं। त्योहारों के मौके पर यह बाजार लोगों के बीच काफी पसंदीदा जगह बन जाती है। परंतु इस बार बाजार में अस्थायी दुकान लगाने वाला सज्जाद हुसैन परेशान हैं। वह कहते हैं कि इस बार हमारे लिए कोई ईद नहीं होगी।