छत्तीसगढ़ के कोरबा क्षेत्र में आतंक का पर्याय बने जंगली हाथी गणेश को लेकर वन विभाग नई मुसीबत में है। अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों से गणेश को 15 घंटे बेहोश करने की इजाजत मांगी है। अधिकारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि विश्व में अभी तक अधिकतम 12 घंटे की बेहोशी ही किसी हाथी को दी गई है। इससे वन मुख्यालय ने उसकी सतत निगरानी का निर्णय लेते हुए केवल व्यवहार का अध्ययन करते रहने के निर्देश स्थानीय अमले को दिए हैं।
गणेश को पिछले दिनों भारी मशक्कत के बाद पकडा गया था लेकिन वह वन विभाग की गिरफ्त से फरार हो गया था। विभाग उसस ट्रैंकुलाइज कर तमोर पिंगला स्थित हाथी पुनर्वास केंद्र भेजना चाहता है। जो कोरबा से करीब 300 किलोमीटर दूर है। इसके लिए गणेश को कम से कम 15 घंटे की बेहोशी देनी की मजबूरी है। मानव जीवन के लिए खतरा बन चुके हिंसक दंतैल गणेश पर दो साल से लगातार निगाह रखने के बाद भी कोई हल नहीं निकल पा रहा है। वर्तमान में गणेश 14 दिनों से छाल रेंज में डेरा जमाए हुए है।
इससे पहले उत्पाती हाथियों को ट्रैंकुलाइज के जरिये बेहोश कर अन्य स्थानों में ले जाने अनेक ऑपरेशन हुए, लेकिन अधिकतम दस से 12 घंटे के लिए ही उन्हें बेहोश करने की जरूरत पड़ी है। इनमें भारत के चेन्न्ई और विदेशों में दक्षिण अफ्रीका व बांग्लादेश शामिल हैं, जहां हाथियों की विभिन्न् परियोजनाओं में भारी रकम हर साल खर्च की जाती है।
दक्षिण अफ्रीका में किसी हाथी को ट्रैंकुलाइज कर एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाने में हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल होता है, जिसकी मदद से अधिकतम पांच से छह घंटे में ही ऑपरेशन पूरा कर लिया जाता है, जिनके मुकाबले भारत में फंड व संसाधन काफी कम हैं।