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भारत में नौकरी की तलाश में कहां जाते हैं प्रवासी?

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2011 जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि देश भर में चार करोड़ 50 लाख से अधिक लोगों ने रोजगार या व्यापार के कारण अपना जन्म स्थान छोड़ा. पुरुषों के प्रवास के पीछे सबसे बड़ा कारण रोजगार और व्यापार रहा, जबकि काम के चलते प्रवास करने वाली महिलाओं की संख्या कम रही.

2001 जनगणना के मुताबिक देश में 10.4 फीसदी घरेलू प्रवास हुआ. जो 2011 में कुछ घटकर 10 फीसदी हो गया.

लाइव मिंट की खबर के मुताबिक 2011 में देश के 640 जिलों में से अकेले चार जिलों में 15 फीसदी प्रवासी नौकरी की तलाश में आए. थाने में 16 लाख, बंगलौर में 15 लाख, मुंबई उपनगरीय में 13 लाख, पुणे में 12 लाख और सूरत में 10 लाख प्रवासी काम की वजहों से इन स्थानों पर आए.

जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक कुछ ही ऐसे जिले थे जहां सबसे अधिक प्रवासी गए. इस सूची में दमन सबसे आगे रहा, जिसमें नागालैंड के दो और अरुणाचल प्रदेश का भी एक जिला शामिल रहा. काम की वजह से देश भर में केवल 57 जिलों में 20 फीसदी से अधिक प्रवासी आए. इन जिलों में व्यक्ति को नौकरी मिलने की उम्मीद सबसे अधिक रहती है.

वहीं करीबन 196 जिलों में आने वाले प्रवासियों की संख्या पांच फीसदी से भी कम रही. इसमें बिहार के कुल 38 में से 36 जिले, उत्तर प्रदेश के 71 में से 44 जिले शामिल हैं. बिहार से 24 लाख और उत्तर प्रदेश से 38 लाख लोगों ने प्रवास किया. काम की वजहों से कुल प्रवास का 47 फीसदी प्रवास उत्तर प्रदेश और बिहार से हुआ.

साथ ही यह भी पता चलता है कि देश भर में 25 फीसदी लोगों ने प्रवास काम की तलाश में किया. काम और रोजगार के कारण राज्यों के भीतर केवल 8 फीसदी प्रवास हुआ.

महिलाओं के संबंध में अधिकतर प्रवास काम के चलते नहीं हुआ. भारत में प्रवास करने वाले 45 करोड़ लोगों में 68 फीसदी (30 करोड़ 60 लाख) महिलाएं थीं. इसमें से केवल 2 फीसदी यानी 72 लाख महिलाओं ने काम की वजहों से प्रवास किया. जबकि पुरुषों में यह प्रतिशत 26 फीसदी रहा.

बंगलैर, थाने, पुणे, रंगारेड्डी (तेलंगाना) और मुबंई उप नगरीय में जिलों में काम के चलते सबसे अधिक महिलाओं ने प्रवास किया. उत्तर प्रदेश (19 फीसदी) और बिहार (11 फीसदी) में पुरुषों की ही तरह महिलाओं का प्रवास भी अधिक रहा.