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जानिए अजीत डोभाल को क्यों कहा जाता है भारत का जेम्स बांड

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर फिल्म बनने जा रही है. इसकी केंद्रीय भूमिका एक्टर अक्षय कुमार निभाएंगे. करियर के शुरुआती दिनों में डोभाल ने पाकिस्तान में रहकर बतौर एजेंट ऐसा काम किया था कि उन्हें जेम्स बांड कहा जाने लगा था.

अजीत डोभाल पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में सात साल तक काम कर चुके हैं. शुरुआती दिनों में वह अंडरकवर एजेंट थे. सात साल तक वो पाकिस्तान में सक्रिय रहे. वो पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक मुस्लिम की तरह रहे. कोई इस दौरान कभी समझ भी नहीं पाया कि वो एक हिंदू हैं और भारत के जासूस.

भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई थी. उन्होंने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए ऐसी महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जो उनके बहुत काम की थी, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका.

इस दौरान वो पाकिस्तानी जासूस बनकर खालिस्तानियों के करीब आए. उनका विश्वास जीता. इसके बाद खालिस्तानियों की तैयारियों की सारी जानकारी उन्हें पता लगने लगी, जिसे उन्होंने भारतीय एजेंसियों तक भेजा.

पाकिस्तान के किसी भी इलाके में कुछ भी होता है तो वहां के सुरक्षा विशेषज्ञ और मीडिया अजीत डोभाल पर आरोप लगाना शुरू कर देते हैं. पाकिस्तान में कोई धमाका होने पर वहां टि्वटर पर अजीत डोभाल ट्रेंड करने लगते हैं.

जून 2010: अजीत डोभाल के दिशा निर्देश में भारतीय सेना ने पहली बार सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया. ऑपरेशन में करीब 30 उग्रवादी मारे गए. ये पूरा आपरेशन बहुत जल्दी में किया गया था.

जून 2014: डोभाल ने आईएसआईएस के कब्जे से 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नर्सें आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण वाले इराकी शहर तिकरित के एक अस्पताल में फंस गई थीं.

यह अजीत डोभाल का ही कमाल था कि 1971 से लेकर 1999 तक इंडियन एयरलाइंस के पांच विमानों के संभावित अपहरण की घटनाओं को टाला जा सका था.

1999: कंधार में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी -814 के अपहर्ताओं के साथ भारत के मुख्य वार्ताकार अजीत डोभाल ही थे.

वह मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में चल रहे उग्रवाद विरोधी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे. 1968 में पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने के दौरान लालडेंगा उग्रवादी समूह के 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के पक्ष में कर लिया था.

कश्मीर में कूका परे जैसे कट्टर कश्मीरी आतंकवादी को राज़ी कर अजीत डोभाल ने भारत विरोधी संगठनों को शांति का संदेश दिया था. उन्होंने कट्टरपंथी भारत विरोधी आतंकवादियों को भी निशाना बनाया और 1996 में जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव के लिए मार्ग प्रशस्त किया.