राज्यसभा (Rajya Sabha) ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की ओर से जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 (Jammu Kashmir Reorganization Bill 2019) पेश किए जाने के लिए लाए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया. इस विधेयक में प्रदेश को दो केंद्र शासित राज्यों में बांटा गया है. जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. इस प्रस्ताव के पक्ष में 125 और विपक्ष में 61 वोट पड़े. इससे पहले गृहमंत्री ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया जिस पर चर्चा होने के बाद विधेयक को मंजूरी दे दी गई.
राज्यसभा (Rajya Sabha) में सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को पेश करने से पहले सरकार ने काफी सावधानी बरती. इस संबंध में किसी कोई सूचना नहीं थी. एहतियातन सरकार ने पूरे जम्मू-कश्मीर को पर्यटकों से खाली करा दिया था, अमरनाथ यात्रा बीच में ही रोक दी. साथ ही यहां पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया. साथ ही पूरे प्रदेश में भारी संख्या में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती कर दी गई. इन सब तैयारियों के बावजूद कोई नहीं समझ पाया कि मोदी सरकार की प्लानिंग क्या है.
किसी भी विपक्षी नेता को भनक तक नहीं लगी
राज्यसभा (Rajya Sabha) में जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने यहां तक कह दिया कि अचानक से यह विधेयक लाया जाना बम फोड़ने जैसा है.
जानें, शाह ने किसे बताई थी पूरी प्लानिंग
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह (Amit Shah) की जोड़ी ने बेहद सतर्कता के साथ जम्मू कश्मीर के मिशन को अंजाम तक पहुंचाया है. ऐसे में देशवासियों के जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सरकार और पीएम के कुछ चुनिंदा ऑफिसरों के अलावा किसी को भी मालूम था कि जम्मू कश्मीर को लेकर इतना बड़ा कदम उठाया जाने वाला है. जी हां सरकार के बाहर दो लोग ऐसे रहे जिन्हें गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने खुद इस सिक्रेट प्लान की सारी बातें पहले ही बता दी थीं.
इस वजह से इन दो लोगों को बताई गई थी सारी सीक्रेट
न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बजट सत्र की शुरुआत से पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) और उनके सहयोगी (महासचिव) भैयाजी जोशी (Bhaiyyaji Joshi) को अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू और कश्मीर को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के विचार से अवगत करा दिया था. अब आप सोच रहे होंगे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, तो इसका जवाब अमित शाह (Amit Shah) ने अपने भाषण में दिया है. शाह ने विपक्षी नेताओं के सवालों का जवाब देते हुए राज्यसभा (Rajya Sabha) में कहा कि साल 1950 से उनकी पार्टी के घोषणापत्र में जम्मू कश्मीर से धारा370 और 35A हटाने की बात कही जा रही है. इस बार उन्हें जनता ने मौका दिया, इसलिए उन्होंने इस फैसले को सच कर दिखाया है. यहां आपको बता दें कि बीजेपी का मातृसंगठन है आरएसएस. मौजूदा वक्त में मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) और भैयाजी जोशी (Bhaiyaji Joshi) आरएसएस के सबसे बड़े पदों पर हैं, इसलिए अमित शाह (Amit Shah) ने उन्हें मिशन जम्मू कश्मीर की सारी सीक्रेट बता दी थी.
पूरे मिशन के मास्टरमाइंड रहे पीएम के ये खास अफसर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मिशन जम्मू कश्मीर’ की पूरी प्लानिंग की जिम्मेदारी आईएएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम (BVR Subrahmanyam) को दी थी. 1987 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएएस बीवीआर सुब्रमण्यम को जम्मू एवं कश्मीर का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था. सुब्रमण्यम ने पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) में संयुक्त सचिव के रूप में प्रधानमंत्री के साथ पहले भी काम किया था. वे मोदी के मिशन कश्मीर के मुख्य अधिकारियों में से एक थे.
सुब्रमण्यम ने ग्राउंड जीरो पर कई सुरक्षा कदम उठाने का खाका तैयार किया, जिसमें पुलिस, अर्धसैनिक बलों और प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों की ओर से सैटेलाइट फोन का प्रयोग करने, संवेदनशील शहरी और ग्रामीण इलाकों में क्यूआरटी (क्विक रेस्पांस टीम) की तैनाती करने, तथा सेना द्वारा नियंत्रण रेखा पर चौकसी बढ़ाने जैसे कदम शामिल थे. सेना, सुरक्षा एजेंसियों और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के प्रमुख केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव के साथ चौबीसों घंटे संपर्क में थे.
4 अगस्त की महत्वपूर्ण रात को मुख्य सचिव ने पुलिस महानिदेशक (जम्मू एवं कश्मीर) दिलबाग सिंह को कई निवारक कदम उठाने के निर्देश दिए, जिनमें प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी, मोबाइल और लैंडलाइन सेवाएं बंद करने, धारा 144 लागू करने तथा घाटी में कर्फ्यू के दौरान सुरक्षा बलों की गश्ती बढ़ाना शामिल है. इसके अलावा इस पूरी प्लानिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी अहम रोल निभाया. इतना बड़ा फैसला लेने से पहले जम्मू कश्मीर की सुरक्षा-व्यवस्था चाक-चौबंद करने की जिम्मेदारी डोभाल के कंधों पर ही रही.