बचपन में बच्चे एक दूसरे का कान पकड़ कर जोर से बोलते थे ‘कनमन टू’…इस कनमन टू की अवाज कान से सीधे दीमाग के भीतर जाती थी और झनझनाहट के साथ पूरे शरीर में फुरफुरी छूट जाती थी। यह एक ऐसी गुदगुदी होती थी जिसका अनुभव हर किसी को अच्छा लगता था। बचपन में यह हरकत…शैतानियों में गिनी जाती थी, लेकिन इंग्लैण्ड की लीड्स यूनिवर्सिटी ने एक शोध के माध्यम से कहा है कि कान में गुदगुदी करने से न केवल ज्यादा समय तक जवानी बरकरार रह सकती है बल्कि दिल से लेकर दीमाग तक के गंभीर रोगों से भी मुक्ति मिल सकती है।
लीड्स यूनिवर्सिटी के शोध पत्र में कान की गुदगुदी को वेगस नर्व स्टिमुलेशन कहा है। इस शोध में दावा किया है कान में गुदगुदी करने से ब्लड प्रेशर हार्ट डिसीज के ट्रीटमेंट के अलावा शरीर की आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को पुन: व्यवस्थित किये जाने में भी मदद मिल सकती है। इतना ही नहीं कान में गुदगुदी से मेटाबोलिक सिस्टम में भी बैलेंस बनाया जा सकता है। शोध कर्ताओं का कहना है कि यह एक ऐसी थैरेपी है जिसमें न तो दवाओं की जरूरत है और न ही किसी ऑप्रेशन की। इस शोध से जुड़े एक चिकिस्ता वैज्ञानिक बीट्राइस ब्रेदरटन का कहना है कि अभी तक कान में गुदगुदी करने से जो आश्चर्य जनक परिणाम सामने आये हैं वो तो कुछ भी नहीं हैं। यह ऐसी थैरेपी है जिससे जीवन को बिना किसी खास खर्च के जीवन को लंबे समय तक निरोग बनाया जा सकता है। दीमाग के सोचने समझने की क्षमता को और शरीर की क्रियाशीलता को कई गुना तक बढ़ाया जा सकता है।
ब्रेदरटन ने कहा है कि इससे पहले भी कुछ चिकित्सक डिप्रेशन और मिर्गी जैसे रोगों के उपचार में वेगस नर्व के इलेक्ट्रिक स्टिमुलेशन का उपयोग कर चुके हैं।