लोकसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को ट्रिपल तलाक बिल पेश किया जाएगा. भारतीय जनता पार्टी ने व्हिप जारी कर अपने सांसदों को संसद में पेश होने का निर्देश जारी किया है. उधर कांग्रेस पार्टी ने भी इसके मद्देनज़र लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों के लिए अगले दो दिन उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है. इससे पहले संसद में बजट सत्र के पांचवें दिन 21 जून को ही इस विधेयक का मसौदा पेश किया गया था जिस पर विपक्षी दलों ने कड़ा ऐतराज जताया था.
बिल पर सरकार ने किया है ये दावा
सरकार ने इस बिल को लेकर दावा किया है कि तीन तलाक का विधेयक मुस्लिम महिलाओं को लिंग समानता प्रदान करेगा और न्याय सुनिश्चित करेगा. यह विधेयक विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा में मदद करेगा और उनके पति द्वारा ‘तलाक-ए-बिद्दत’ से तलाक लेने से रोकेगा.
क्या है इस बिल के प्रावधान
तीन तलाक विधेयक के तहत जिस मुस्लिम महिला को तलाक दिया गया है, उसकी जानकारी के आधार पर मजिस्ट्रेट की इजाजत से अपराध को कठोर बनाया गया है. विधेयक में मजिस्ट्रेट को आरोपी को जमानत पर रिहा करने से पहले उस विवाहित मुस्लिम महिला की बात सुनने का प्रावधान किया गया है, जिसे तलाक दिया गया है.
तीन तलाक विधेयक में इसमें विवाहित मुस्लिम महिलाओं और उनके आश्रित बच्चों को गुजारा-भत्ता देने की व्यवस्था है. इस विधेयक में अपराध को संज्ञेय बनाने का प्रस्ताव है, यदि पुलिस थाने के प्रभारी को उस विवाहित मुस्लिम महिला या उसके किसी नजदीकी रिश्तेदार द्वारा अपराध होने के संबंध में सूचना दी जाती है, जिसे तलाक दिया गया है.
तीन तलाक विधेयक के अनुसार तीन तलाक की परिपाटी को निरस्त और गैर-कानूनी घोषित किया गया है. इसे तीन वर्ष के कारावास और जुर्माने के साथ दंडनीय अपराध माना गया है.
निष्प्रभावी हो गया था ये बिल
मई में 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला बिल निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था. दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है.