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बदल गया एमबीबीएस अंतिम वर्ष की परीक्षा का नाम, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को मिली मंजूरी

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 केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय चिकित्सा परिषद् के स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के गठन संबंधी विधेयक के प्रारूप को बुधवार को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक को मंजूरी दी गयी।

इस विधेयक के प्रभाव में आने के बाद भारतीय चिकित्सा परिषद् की जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग लेगा।विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, एमबीबीएस अंतिम वर्ष की परीक्षा को नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) के नाम से जाना जायेगा। स्नातकोत्तर स्तर के मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए इसे पास करना जरूरी होगा।विदेशों से एमबीबीएस करके आने वाले डॉक्टरों को भी देश में प्रैक्टिस से पहले यह परीक्षा देनी होगी।

अब तक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा संस्थान स्वयं आयोजित करता है। इस विधेयक के प्रभाव में आने के बाद एम्स समेत सभी राष्ट्रीय संस्थानों में राष्ट्रीय प्रवेश एवं पात्रता परीक्षा (नीट), कॉमन काउंसिलिंग और नेक्स्ट के आधार पर ही दाखिला होगा। विधेयक के प्रावधान में कहा गया है कि निजी तथा डीम्ड मेडिकल कॉलेजों में भी 50 प्रतिशत सीटों की फी तथा अन्य शुल्क तय करने का अधिकार आयोग को होगा।

मेडिकल कॉलेजों की रैंकिंग तथा उनके आकलन के लिए मेडिकल एसेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड बनाया जायेगा।राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से संबद्ध चार स्वायत्त बोर्ड होंगे। ये बोर्ड अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड, पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड, मेडिकल एसेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड तथा एथिक्स एंड मेडिकल रेजिस्ट्रेशन बोर्ड होंगे। स्वायत्त बोर्डों में सदस्यों की संख्या तीन से बढ़ाकर पाँच करने का प्रस्ताव है। इनमें दो-दो अंशकालिक सदस्यों की नियुक्ति की जायेगी।