केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की बजट पूर्व बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय प्रवर्तित योजनाओं में केन्द्र का वित्तीय अंश बढ़ाने और राज्य का अंश कम करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय योजनाओं में राज्यों के अंश को लगातार बढ़ाया जा रहा है। इससे राज्य को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा पहले ही कम कर दिया गया है।
ऊपर से केंद्र की योजनाओं को चलाने की जिम्मेदारी भी रहती है। इसके लिए राज्य को अपने कर राजस्व का उपयोग करना पड़ता है। परिणामस्वरूप राज्य सरकार पूंजीगत खर्च यानी विकास कार्यों पर अधिक राशि खर्च नहीं कर पाती। कल्याणकारी योजनाओं पर भी इसका असर पड़ने लगा है।
केंद्र सरकार की 25 योजनाएं अभी चल रही हैं राज्य में : सर्व शिक्षा अभियान, पीएम आवास, एकीकृत बाल विकास जैसी केंद्र की इस समय 25 से अधिक योजनाएं राज्यों में चल रही हैं। इन सभी योजनाओं के लिए केंद्र करीब 4500 करोड़ ही देता है। जबकि छत्तीसगढ़ सरकार अपनी आय के 35 हजार करोड़ में से 40 फीसदी यानि करीब 14 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है।
भूपेश का फॉर्मूला
- 80-20 प्रतिशत के अनुपात में केंद्र और राज्य खर्च वहन करें।
- 60-40 प्रतिशत के अनुपात में अभी खर्च करना पड़ता है केंद्र और राज्य को।
राज्य की वित्तीय स्थिति वह सब जो आप जानना चाहते हैं
- 2019-20 का राज्य बजट : करीब 93 हजार करोड़
- टैक्सेबल इनकम (केंद्र-राज्य मिलाकर): 60 हजार करोड़
- सीमा शुल्क जैसे केंद्रीय करों से हर साल: 25 हजार करोड़
- पंजीयन, आबकारी, वैट, खनिज : 35 हजार करोड़
- माइनिंग से इनकम : 6000 करोड़