छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव विकास योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी विकास कार्यक्रम कोरबा जिले में भी तेजी के साथ मूर्त रूप ले रहा है। जिले में पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पानी, चारा उपलब्ध कराने के साथ-साथ छांव और सुरक्षित आशियाना की भी व्यवस्था नरवा विकास के तहत बने गौठानों में की जा रही है। कोरबा जिले में कुल 88 गौठानों का निर्माण शुरू हो गया है। जिसमें से 30 गौठानों का काम पूरा भी कर लिया गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और अन्य शासकीय योजनाओं के कनवर्जंेस से 88 गौठानों का निर्माण प्रगति पर है। गौठानों के लिए ग्रामवार अलग-अलग कर कुल 260 एकड़ भूमि का चिन्हाकंन किया गया है। गौठानों के बन जाने से साढ़े छब्बीस हजार से अधिक पशुओं को पानी-चारा सहित अन्य सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर मिल जायेगी।
कलेक्टर किरण कौशल ने आज यहां बताया कि कोरबा जिले में नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी विकास कार्यक्रम के तहत 88 गौठानों का निर्माण किया जाना है। जिनमें से पहले चरण में तीस गौठानों का काम पूरा हो गया है। जिले के पांचों विकासखंडों के छ:-छ: चयनित गांवों में पहले चरण में तीस गौठान बनाये जा चुके हैं। कोरबा विकासखंड में पताड़ी, बासीन, बेला, चिर्रा, कटबिटला और चाकामार में गौठानों का काम पूरा हो गया है। करतला विकासखंड में नोनबिर्रा, उमरेली, घाठाद्वारी, कोटमेर, कथरीमाल और गुमिया में पशुओं के लिए सुसज्जित गौठान तैयार हो गये हैं। कटघारो विकासखंड के अमरपुर, धंवईपुर, बुंदेली, अरदा, ढपढप और भिलाईबाजार में गौठान बन गये है। पाली विकासखंड के ग्राम खैराडुबान, सेंद्रीपाली, केराझरिया, निरधी, ईरफ और मदनपुर में तथा, पोड़ीउपरोड़ा विकासखंड के जटगा, महोरा, लोड़ीबहरा, पचरा, मानिकपुर और झिनपुरी में गौठानों का काम पूरा हो गया है। सभी गौठानों में लगी हुई जमीन पर पशुओं के लिए चारागाह की भी व्यवस्था की गई है। चारागाहों में नेपीयर घास, मक्का और ज्वार जैसी चारे की फसलों के लिए तैयारियां कर ली गई है। चारागाहों में नेपीयर घास उगाने के लिए कंसों का रोपण भी कर दिया गया है।
इन गौठानों में पशुओं को पीने के पानी के लिए कोटना, बैठने के लिए प्लेटफार्म और छांव के लिए पक्के शेड भी बनाये गये हैं। पशुओं के गोबर और गौमूत्र को एकत्रित करके बायोगैस संयंत्र में उपयोग के लिए नाली आदि की व्यवस्था भी की गई है। कुछ गौठानों में पानी के लिए नलकूप या कुंए खोदे गये हैं। नदी-नाले के किनारे आकार ले रहे गौठानों में पानी की व्यवस्था सोलर पंप लगाकर नदी-नालों से की जा रही है। पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में चारे का भंडारण करने के लिए गौठानों में पर्याप्त मात्रा में मचान बनाये गये हैं। पानी की आबाध पूर्ति के लिए कुछ गौठानों में टंकियां भी लगाई गई है।
गौठानों में पशुओं के गोबर और गौमूत्र से कम्पोस्ट खाद बनाने के टांके भी स्थापित किये गये हैं। इसके साथ ही बायोगैस संयंत्र भी बनाये जा रहे हैं। बीमार होने पर पशुओं के ईलाज के लिए और कृत्रिम गभार्धान कराने गौठानों में व्यवस्था की गई है। पशुओं की सुरक्षा के लिए गौठानों को चारों ओर से फेंसिंग और ट्रेंच खोदकर भी सुरक्षित किया गया है। गौठानों में नीम, पीपल, मुनगा, अमरूद जैसे पौधों का रोपण भी किया जा रहा है।
एक पौधे की सुरक्षा पर चरवाहों को मिलेंगे 15 रुपए- कलेक्टर श्रीमती कौशल ने बताया कि गौठानों का प्रबंधन ग्राम स्तरीय समितियों द्वारा किया जायेगा। गौठान और गोैचर भूमि पर बड़ी संख्या में पौधे लगाये जायेंगे। जिसकी शुरूआत की जा चुकी है। गौठानों में लगे पौधों को पशुओं से बचाने के लिए ट्री गार्ड भी लगाये गये हैं। गौठानों में रोपे पौधों की सुरक्षा चरवाहों के हवाले रहेगी। एक पौधे को तीन साल तक सुरक्षित रखने पर चरवाहे को हर महिने 15 रुपए प्रति पौधे की दर से प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। एक चरवाहे को गौठान में दो सौ से तीन सौ पौधें की सुरक्षा सौंपी जायेगी।