छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस पार्टी की राज्य में सरकार बनी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने. इसके बाद चर्चा होने लगी कि प्रदेश में 15 साल बाद छत्तीसगढ़िया सरकार बनी है. कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने विधानलसभा में छत्तीसगढ़ी में ही शपथ भी ली. हालांकि मध्यप्रदेश से अलग होकर 2000 में छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ तब से ही यहां जिनकी भी सरकार बनी सभी ने छत्तीसगढ़िया सरकार ही होने का दावा किया. अब इस छत्तीसगढ़िया सरकार में छत्तीसगढ़ी सिनेमा से जुड़े लोग मोर्चे पर हैं. अपनी बदहाली के लिए वे सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर भेदभाव का आरोप लगाते फिल्म जगत से जुड़े कलाकार और निर्माता निर्देशक मोर्चे पर हैं. राजनांदगांव शहर के कमल टॉकीज के सामने बीते दिनों धरना प्रदर्शन भी किया. इसके अलावा प्रदेश के कई शहरों में सांकेतिक विरोध किया गया. उन्होंने टॉकीज संचालक पर अनुबंध तोड़ने का आरोप लगाया. छत्तीसगढ़ी फिल्म कलाकारों का ये गुस्सा हालिया रिलीज फिल्म महुं कुवारी तहुं कुंवारा को लेकर था. टॉकीज प्रबंधन पर आरोप है कि फिल्म को लगभग 2 सप्ताह चलाने के बाद इसकी जगह दूसरी फिल्म को प्रदर्शित किया जा रहा है.
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दरअसल प्रदर्शन सिर्फ इस बात के लिए नहीं है कि किसी एक टॉकिज ने फिल्म अनुबंध की समय सीमा समाप्त होने से पहले ही हटा दी. इसके अलावा प्रदेश के मॉल में छत्तीसगढ़ी फिल्मे न लगाना, प्रदेश में फिल्मों को टैक्स फ्री करना, फिल्म निर्मताओं और कलाकारों को सुविधा उपलब्ध कराने जैसी तमाम मांगें भी हैं, जिसको लेकर समय समय पर फिल्म से जुड़े लोगों का गुस्सा सामने आते रहता है.
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री छालीवुड से जुड़े लोगों से मिले आंकड़े के अनुसार प्रति वर्ष 25 से 30 छत्तीसगढ़ी फिल्म का निर्माण होता है. 90 करोड़ से अधिक का फिल्म निर्माण में खर्च किया जाता है. इसके बाद भी सिनेमा घरों में महज 10 से 12 फिल्म ही लगती है. राज्य में छॉलीवुड से जुड़े लगभग दो लाख लोग हैं. इनमें से प्रत्यक्ष रूप से पांच हजार कलाकार, गायक, अभिनय के क्षेत्र में जुड़े हुए है.
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2003 के बाद बढ़ा दिया गया टैक्स
सत्ताधारी दल कांग्रेस की स्टार प्रचारक, छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रोड्यूसर और लोककलाकार सीमा कौसिक कहती हैं कि पिछली सरकार ने इस क्षेत्र में कुछ भी खास नहीं किया. पिछले साल चुनाव से ऐन पहले फिल्म विकास निगम का गठन प्रदेश में कर खानपूर्ति मात्र की गई. साल 2000 से 2003 तक 3 फिसदी कर छॉलीवुड फिल्म से लिया जाता था, जिसे 2003 के बाद यह कर 10 फिसदी कर दिया गया. जबकि यहां छत्तीसगढ़ी फिल्में टैक्स फ्री की जानी चाहिए.
छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रोड्यूसर मनोज वर्मा का कहना है कि सिनेमाघरों में होल्डओवर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. सरकार को कई स्थाई नीति इसपर नहीं अपना रही है. सिनेमा घरों में छत्तीसगढ़ी फिल्म हमेशा ही लगनी चाहिए. साथ ही जिन सिनेमा घरों में फिल्में नहीं लगती वहां छालीवुड फिल्म के ट्रेलर दिखाने चाहिए.
छत्तीसगढ़ में मॉल तो फिल्म क्यों नहीं?
सीमा कौसिक कहती हैं कि छत्तीसगढ़ की धरती पर मॉल व मल्टीप्लेक्स संचालित कर करोड़ों रुपयों को व्यावसाय किया जा रहा है, लेकिन संचालकों को यहां छत्तीसगढ़ी फिल्में प्रदर्शित करने पर ऐतराज होता है. प्रदेश में सरकार बदली है. उम्मीद है कि प्रदेश की मौजूदा कांग्रेस सरकार इस ओर कोई ठोस कदम जरूर उठाएगी.
बीजेपी ने वादा निभाया
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अभिनेता, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम के पहले अध्यक्ष और बीजेपी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक राजेश अवस्थी का कहना है कि बीजेपी ने वादा निभाया और प्रदेश में फिल्म निगम बनाया. मौजूदा सरकार को संस्कृतिक कलाकारों के प्रति सहानुभूति नहीं है. तमाम बड़े कलाकारों को परेशानी नहीं हो रही. सरकार को 100 दिन में 90 दिन सिनेमाघरों में छत्तीसगढ़ी फिल्म प्रदर्शित करना अनिवार्य करना चाहिए. हमने अपने कार्यकाल में पहल की, लेकिन ज्यादा मौका नहीं मिला.