विमान को रनवे पर लाया गया और इसी दौरान फ्लाइट में बैठे लखनऊ के यात्री सुनील ने इमरजेंसी एग्जिट गेट खोल दिया। सुनील बंगलूरू में ही कारपेंटर का काम करता है।
इमरजेंसी विंडो सीट के लिए अतिरिक्त शुल्क
हालांकि विमान को रोक दिया गया और यात्रियों को दूसरे विमान से रवाना किया गया। सुरक्षाकर्मियों ने सुनील से कड़ाई से पूछताछ की। उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, लेकिन विमान से दोबारा यात्रा नहीं करने दी गई। विमान की गहन जांच-पड़ताल के लिए इंजीनियरों की टीम बुलाई गई।
विमान की इमरजेंसी विंडो डैनों पर खुलती है। इससे आपात स्थिति में पैसेंजरों को स्लाइडर की मदद से डैनों के मार्फत नीचे उतारा जाता है। ‘नीरजा’ फिल्म में इसे दिखाया गया है। इमरजेंसी विंडो सीट के लिए अतिरिक्त शुल्क लगता है। दरअसल, इस सीट पर पैर फैलाने व सामान रखने के लिए पर्याप्त जगह होती है, जिससे लंबी दूरी के यात्रियों को राहत हो जाती है।
देखें, इन्हें नहीं मिलती इमरजेंसी सीट
इन्हें नहीं मिलती इमरजेंसी सीट
-12 साल से कम उम्र के यात्रियों को
-शारीरिक व मानसिक रूप से दिव्यांग यात्रियों को
-कुत्ते, बिल्ली व अन्य जानवरों के साथ यात्रा करने वालों को
-ऐसे यात्रियों को, जिन्हें विमान क्रू/यात्रियों द्वारा बोली जाने वाली भाषा न आती हो
हवा में खुलती तो होता बड़ा हादसा…
अगर, इमरजेंसी विंडो को अचानक बीच हवा में खोल दिया जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। विशेषज्ञों कहते हैं कि 30 हजार फीट की ऊंचाई के आसपास जब विमान उड़ान भर रहा हो और विंडो खोल दी जाए तो केबिन प्रेशर तेजी से घटने लगता है, जिससे एक ओर विमान का संतुलन गड़बड़ा जाता है तो दूसरी ओर ऑक्सीजन का स्तर घटने लगता है, जिससे यात्रियों को हाइपोक्सिया हो जाती है।
हालांकि, ऑक्सीजन मास्क विमान में रहते हैं। इतना ही नहीं, गर इसे ठंडे इलाकों में बीच हवा में झटके से खोल दिया जाए तो अंदर का तापमान जमा देने जैसा भी हो सकता है।