रायपुर। सोमवार को छत्तीसगढ़ राज्य नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा आयोजित किये जा रहे दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के पहले दिन रायपुर नगर पालिक निगम की महापौर मीनल चौबे ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग अरुण साव को अनेक सुझाव दिए हैँ. महापौर मीनल चौबे ने उप मुख्यमंत्री नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग अरुण साव को सुझाव दिया है कि नगर पालिक निगम का कुल राजस्व संग्रह निर्धारित लक्ष्यों से कम होता है क्योंकि कई संपत्तियाँ ‘ब्लॉक’ श्रेणी में आती हैं जिनके स्वामियों से कोई संपर्क नहीं हो पाता, जिससे उनसे कर वसूली संभव नहीं हो पाती है. इसके साथ ही बीएसयूपी और मलीन बस्तियों के रहवासियों से की गई राजस्व माँग व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं. उन पर लगातार चक्रवृद्धि ब्याज बढ़ता जा रहा है, जिससे उनके मकानों की कीमत से तीन गुना कर उन पर बकाया हो चुका है. महापौर ने सुझाव दिया है कि बीएसयूपी कॉलोनियों और मलीन बस्तियों के रहवासियों से केवल मूल धन कर वसूला जाए और ब्याज व चक्रवृद्धि ब्याज को माफ कर दिया जाए, जिससे गरीबों पर न्यायपूर्ण निर्णय होगा और राजस्व संग्रहण में भी वृद्धि होगी. महापौर ने सुझाव दिया है कि बीएसयूपी और प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकानों को हाउसिंग बोर्ड और अन्य संस्थाएं नगर पालिक निगम को हस्तांतरित तो कर देती हैं, लेकिन उन स्थानों पर कोई मूलभूत सुविधा (जैसे पानी, बिजली, सड़क) नहीं होती. इन कॉलोनियों के लिए आवश्यक सुविधाओं का बजट शासन द्वारा नगर पालिक निगम को प्रदाय किया जाना चाहिए, ताकि वहाँ मूलभूत सुविधाएं लोगों को मिल सकें. महापौर ने सुझाव दिया है कि अमृत मिशन योजना के अंतर्गत वर्तमान में एक ही टंकी से दो अलग-अलग जल लाइनें (अमृत मिशन व पुरानी लाइन) चलाई जा रही हैं, जिससे असमान जल आपूर्ति होने की व्यवहारिक समस्या सामने आती है. महापौर ने सुझाव देते हुए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि अमृत मिशन योजना के अंतर्गत नगरीय निकाय क्षेत्र में एकल पाइपलाइन व्यवस्था लागू की जाए, ताकि पूरे शहर को समान रूप से जल आपूर्ति की जा सके. महापौर ने कहा कि शासन से नियमतः मिलने वाली अनुदान राशि का अधिकांश हिस्सा शासन स्तर पर चला जाता है. इस सम्बन्ध में महापौर ने उप मुख्यमंत्री को सुझाव देते हुए अनुरोध किया है कि शासन द्वारा अनुदान राशि में से कम से कम 50 प्रतिशत राशि संबंधित नगरीय निकाय को दी जाए, इसके साथ ही महापौर ने जल कष्ट निवारण के लिए मिलने वाली राशि में वृद्धि किये जाने की भी माँग की है, जिससे नागरिकों को नगरीय निकाय क्षेत्र में बेहतर सुविधा मिल सके।