नई दिल्ली। लोकसभा में भारतीय संविधान पर तीखी बहस के बाद आज से राज्यसभा में इस विषय पर दो दिवसीय चर्चा शुरू हुई।केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी शुरुआत करते हुए कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर तीखा हमला बोला।उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नागरिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए बार-बार संविधान में संशोधन कर रही है। उन्होंने इंदिरा गांधी के बचाव के लिए भी संविधान में संशोधन किए जाने की बात कही।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, पिछले 7 दशकों में इस जीवित दस्तावेज यानी हमारे संविधान ने कई संशोधन देखे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की अंतरिम सरकार के तहत पहले संशोधन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया था।उन्होंने आगे कहा, यह पहला संशोधन प्रेस स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था और यह अभी भी मीडिया की स्वतंत्रता को प्रभावित कर रहा है। सांसदों के विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री नेहरू ने यह संशोधन किया था।
सीतारमण ने कहा, आपातकाल के दौरान पारित 39वें संविधान संशोधन को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया गया था क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सत्ता खोने से डरती थीं। कांग्रेस ने परिवार और वंशवाद की मदद के लिए संविधान में बेशर्मी से संशोधन जारी रखा। संशोधनों का उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत करना न होकर सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा करना था।उन्होंने कहा, कांग्रेस ने उस दौरान इंदिरा गांधी की सत्ता बचाने के लिए ही संविधान में संशोधन किया था।
सीतारमण ने कहा, कांग्रेस ने 1951 में संशोधन कर अभिव्यक्ति की आजादी पर कैंची चलाई। इसके बाद 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में राजनारायण का मामला लंबित होने के बावजूद कांग्रेस ने 39वें संशोधन के जरिए यह प्रावधान जोड़ दिया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निर्वाचन को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती। इसके लिए ही ‘किस्सा कुर्सी का’ बैन कर दिया गया। यह सब कांग्रेस की सोची-समझी साजिश थी।
सीतारमण ने कहा, कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर सेक्यूलर और सोशलिस्ट शब्द जोड़ दिए गए। पूरे विपक्ष को जेल में डालकर ऐसा किया गया था। लोकसभा में उनके कुछ सदस्यों ने भी इसका विरोध किया था।उन्होंने कहा, कांग्रेस ने विपक्ष के सदस्यों को जेल में डालकर ही 42वां संविधान संशोधन किया था। बाद में 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने 42वें संशोधन के प्रावधान हटाने के लिए 44वां संशोधन लाया गया था।
सीतारमण ने शाहबानो मामले का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला को न्याय दिलाने के लिए जो आदेश दिया था, कांग्रेस ने उसके खिलाफ नया कानून बना दिया कि महिला को न्याय नहीं मिलना चाहिए। यह बड़ी चिंता की बात है।
सीतारणम के अलावा सत्ता पक्ष की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, हरदीप सिंह पुरी, सुधांशु त्रिवेदी, भूपेंद्र यादव और बृजलाल बहस में हिस्सा लेंगे।विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, जयराम रमेश के अलावा दिग्विजय सिंह और अन्य सांसदों के बहस में शामिल होने की उम्मीद है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को सदन में अपना जवाब देंगे। हालांकि, इस बीच अविश्वास प्रस्ताव को लेकर हंगामा देखने को मिल सकता है।