ग्रामीण भारत के लिए आवास एक मूलभूत चुनौती है। ग्रामीण परिवारों का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी, बांस या अन्य अस्थायी सामग्रियों से बने कच्चे आवासों में रहता है। इससे ये घर मौसम की विपरीत परिस्थितियों में और अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। भारत सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान निकालने की दिशा निरतंर रूप से कार्य कर रही है। यह एक व्यापक सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है और "सभी के लिए आवास" प्रदान करने के लक्ष्य पर केंद्रित है। इस योजना का उद्देश्य सभी बेघर परिवारों और कच्चे एवं जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले ग्रामीण परिवारों को ऐसे पक्के आवास बनाने के लिए वित्तीय और निर्माण सहायता प्रदान करना है, जो दीर्घकालिक, मौसम-अनुकूल आवश्यक सुविधाओं से परिपूर्ण हों। पीएमएवाई-जी की प्रगति सराहनीय रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमआरडी) के अनुसार, अक्टूबर 2024 तक 2.67 करोड़ घरों का निर्माण किया जा चुका है। क्या सचमुच सबके लिए आवास होगा? पीएमएवाई-जी ग्रामीण आवास की चुनौतियों से कितने प्रभावी ढंग से निपटती है?
पीएमएवाई-जी ने निर्माण की गुणवत्ता में सुधार और लाभ के वितरण में निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाया है। निर्माण की गुणवत्ता में सुधार के लिए पीएमएवाई-जी का एक प्रमुख घटक ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण (आरएमटी) कार्यक्रम है, जिसने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के सहयोग से, निर्माण में बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु 2.81 लाख राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया है। स्थानीय विशेषज्ञता का उपयोग करने के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करते हुए इस स्थानीय-विशेषज्ञता पद्धति ने पीएमएवाई-जी के अंतर्गत नई पहलों की गति बढ़ाने में सहायता की है। वर्ष 2021-22 में नई आवास पहल 40 लाख की संख्या को पार कर चुकी है और वर्ष 2022-23 में 50 लाख को पार करते हुए इसने पिछले सभी रिकॉर्ड भी तोड़ दिए हैं। हाल ही में हुए शोध से पता चलता है कि पीएमएवाई-जी ने आवास की स्थिति, बुनियादी सुविधाओं की पहुंच और समग्र कल्याण को बढ़ाते हुए कई आयामों में लाभार्थियों के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार किया है। सामाजिक स्थिति, आत्म-सम्मान और अपनेपन की भावना में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। यह संभवतःसंकटग्रस्त प्रवासन में कमी लाने में भी योगदान दे रही है। पीएमएवाई-जी का मुख्य ध्यान आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सस्ते आवासों के प्रावधान और पारदर्शिता को प्राथमिकता देने के साथ-साथ महिला सह-स्वामित्व एवं इस तरह की आबादी में शामिल वर्गों के सशक्तिकरण पर रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के माध्यम से इसके साक्ष्य एक महत्वपूर्ण रोजगार प्रभाव का भी उल्लेख करते हैं। इस कार्यक्रम के साथ 2016 से प्रति परिवार लगभग 314 व्यक्ति-दिवस कार्य का सृजन हुआ है, जिसमें 81 कुशल, 71 अर्ध- कुशल और 164 अकुशल व्यक्ति-दिवस शामिल हैं। ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम भी उच्च गुणवत्तायुक्त रहा है, जिसमें से कुछ को प्रमाणित राजमिस्त्री निर्माण क्षेत्र में विदेश में काम करने के अवसर भी मिल रहे हैं। गुणवत्ता
पर ध्यान देने जैसे तथ्य से पता चलता है कि आपदा से निपटने के मामले में डिजाइनों को समावेशी बनाने जैसी पहलों द्वारा समर्थित किया जाता है। यह स्थानीय परिस्थितियों और स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर आपदा के अनुरूप सुविधाओं के साथ विविध आवासों का डिजाइन तैयार करने की तकनीक प्रदान करता है। आवासों के लिए यह
समावेशी पहल एक ऐप द्वारा समर्थित है जिसके माध्यम से अनुशंसित आदर्श 3डी आवास डिज़ाइन प्रदान किए जाते है।
प्रौद्योगिकी के उपयोग ने दो प्रमुख साधनों-बेहतर निरीक्षण और व्यापक कार्यक्रम एकीकरण के माध्यम से लाभार्थियों के जीवन को बेहतर बनाने में पीएमएवाई-जी की सफलता में योगदान दिया है। कार्यक्रम एकीकरण शौचालयों (एसबीएम), एलपीजी कनेक्शन (पीएमयूवाई), पाइप से पेयजल के प्रावधान (जल जीवन मिशन), बिजली कनेक्शन (सौभाग्य) और अन्य सरकारी पहलों के साथ-साथ स्वच्छ ऊर्जा समाधान एवं अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं को पीएमएवाई-जी के अनुकूल बनाकर आवश्यक सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच को सुनिश्चित करते हुए लाभार्थियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार लाता है। इस प्रकार, आवास संख्याओं में वृद्धि के अलावा नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में पीएमएवाई-जी का ध्यान एक स्वागत योग्य नीति विशेषता है। बेहतर निरीक्षण ने भी पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ग्राम सभाओं और अपीलीय प्रक्रिया के माध्यम से सत्यापित आवास अभाव मानदंडों का पालन करते हुए, लाभार्थियों को एसईसीसी (सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना) 2011 और आवास+2018 सूचियों से लक्षित किया जाता है। इसके अलावा, आवास+ सूची को मोबाइल ऐप आवास+2024 के माध्यम से किए गए सर्वेक्षणों का उपयोग करके अद्यतन किया जाता है। यह परिवारों को स्वयं-सर्वेक्षण का विकल्प भी प्रदान करता है। हाल ही में, निरीक्षण में और सुधार लाने के लिए चेहरे की पहचान प्रणाली को भी इसमें शामिल किया
गया है।
पीएमएवाई-जी की व्यापकता विकासशील देशों में अन्य समान आवास नीतियों के मुकाबले बहुत अधिक है। पीएमएवाई-जी का 2029 तक 2 करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण को समर्थन करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। संदर्भ के तौर पर ब्राजील (ब्राजील सरकार) के माई हाउस, माई लाइफ कार्यक्रम ने 2021 तक केवल लगभग 60 लाख आवास इकाइयां वितरित या अनुबंधित की हैं और दक्षिण अफ्रीका के पुनर्निर्माण और विकास कार्यक्रम ने 1994 से 2001 (टॉम लॉज, 2003) तक कम आय वाले परिवारों के लिए केवल 11 लाख आवासों का निर्माण किया है। पीएमएवाई-जी की व्यापकता और दायरा इसे विश्व स्तर पर सबसे प्रभावशाली आवास पहलों में रखता है। वर्तमान शोध मुताबिक पीएमएवाई-जी समग्र रूप से सफल रही है, यह शोध भविष्य के लिए सुधार के कुछ क्षेत्रों का भी उल्लेख करता है। सबसे पहले, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्यक्रम उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, पात्रता मानदंड के बारे में जानकारी तक पहुंच बढ़ाई जा सकती है। इससे जागरूकता में अंतर को पाटने और व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी। दूसरा, नीति गुणवत्ता में सुधार करने के लिए, नीति निर्माताओं के दृष्टिकोण में संभावित खामियों को दूर करते हुए लाभार्थियों की प्रतिक्रिया के लिए साधनों में सुधार करना आवश्यक है। अंत में, राज्यों में आवास पहल के वितरण में पर्याप्त भिन्नता है। कुछ राज्यों ने अपने लक्ष्य हासिल कर लिए हैं या उससे आगे निकल गए हैं, जबकि अन्य ने अभी तक शुरुआत भी नहीं की है। पीएमएवाई-जी ने न केवल आवास सुनिश्चित करने का वादा किया है, बल्कि लाभार्थियों के लिए कई अतिरिक्त लाभ भी सुनिश्चित किए हैं, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राज्यों में पीएमएवाई-जी को लागू करने के लिए व्यापक राजनीतिक सहमति वास्तव में सभी के लिए आवास हासिल करने के लिए संपूर्ण भारत में संसाधनों का अधिक संतुलित और प्रभावी आवंटन सुनिश्चित कर सकती है।