Home धर्म पावागिरि में वार्षिक मेला के तीसरे दिन निकले विमान

पावागिरि में वार्षिक मेला के तीसरे दिन निकले विमान

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  • नवीन कार्यालय उद्घाटन कार्यक्रम में उमड़ा जन सैलाव।
  • ऐसा पुरुषार्थ करो जिससे मृत्यु होने पर मातम नहीं महोत्सव मनाया जाये- आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण

ललितपुर। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र पावागिरि की पावन धरा पर आचार्य सुमति सागर महाराज की परम प्रभावक शिष्या आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता जी, विश्वयश मति माता जी, क्षुल्लिका आप्तमति माता के मंगलमय सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र. पारस भैया प्रशम एवं पं. विनोद कुमार शास्त्री के निर्देशन में वार्षिक मेला के तीसरे दिन नित्यमय अभिषेक शांतिधारा एवं अतिशय युक्त चमत्कारी बाबा मूलनायक पारसनाथ स्वामी का मस्तिकभिषेक एवं भक्तामर के अखंड पाठ के समापन पर विश्वशांति महायज्ञ एवं हवन का आयोजन किया गया। दोपहर में नवीन कार्यालय का उद्घाटन नरेंद्र कुमार जैन गुरुकृपा परिवार रायपुर एवं पारस चैनल के डायरेक्टर मोदी प्रकाश चंद्र जैन के मुख्य आतिथ्य में किया गया। इस मौक़े पर आर्यिका गणिनी विश्वयश मति माता ने कहा सौभाग्यशाली हैं वह लोग जो इस क्षेत्र से जुड़े हैं क्योंकि भोंयरे के भगवान पारसनाथ स्वामी का अतिशय अद्वितीय है, जिसके सामने बैठने पर अलग ही ऊर्जा की अनुभूति होती है। जल विहार के कार्यक्रम में श्रीजी की भव्य शोभायात्रा निकली, जिसमें चिंतामणि पारसनाथ स्वामी को विमान में लेकर श्रद्धांलु डी जे एवं बैड बाजों की धार्मिक धुनों पर धर्म ध्वजा लेकर नृत्य करते युवा एवं मंगल गीत गाती हुई महिलाएं चल रही थी, शोभायात्रा मन्दिर के मेला प्रांगण से गजरथ वेदी पर पहुंची। कार्यक्रम के शुभारम्भ में ध्वजारोहण श्रेयांश कुमार आलोक जैन पवा एवं आचार्य महाराज का चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन रविंद्र मोदी ललितपुर ने किया। आर्यिका माता का पाद पृच्छालन उत्तमचंद्र आंनद जैन पवा एवं मंगलाचरण रेखा दीदी ने किया। आर्यिका गणिनी सृष्टिभूषण माता ने अपने मंगल प्रवचन में आत्म कल्याण के लिए धर्म की साधना करने को कहा। कोई दिन शुभ नहीं होता, जिस दिन अच्छा कार्य कर लिया वही दिन शुभ हो जाता है। उन्होंने कहा ऐसा पुरुषार्थ करो जिससे मृत्यु होने पर मातम नहीं महोत्सव मनाया जाये, जिंदगी काटने के लिये नहीं जिंदगी को पाप काटने के लिये मिली है। पाप छोड़कर पुण्यमय बनाने के लिये जीवन मिला है। स्वदेशी बनो, लोग अपने देश को जहाँ कहते हैं, हम तो अपने देश भारत को माँ कहते हैं। यहाँ भोग की नहीं त्याग की उपासना की जाती है। यहाँ प्रेम वात्सल्य संतुष्टि स्वर्ग और ईर्ष्या द्वेष नरक है। ज्ञान का दीपक जलाओ कभी जीवन में अंधकार नहीं रहेगा। उन्होंने सम्यक दर्शन के प्रभावना अंग का व्याख्यान करते हुए विमानोत्सव का महत्व बताया। तत्पश्चात वार्षिक कलशाभिषेक के बाद मंगल आरती सुभाष चंद्र जैन कड़ेसरा ने उतारी एवं फूलमाल का आयोजन किया गया। दीपक बुखारिया, प्रवीण कुमार, रविंद्र जैन बबीना, अनिल जैन सागर, धर्मचंद्र आलीपुर एवं प्रमोद जैन गुन्देरा ने अभिषेक शांतिधारा की क्रियाएं संपन्न की। दुःख दर्द निवारण और मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालुओं ने पारसनाथ दरबार में अर्जी लगायी। कार्यक्रम में अभय कुमार, शिखर चंद्र, अध्यक्ष ज्ञानचंद्र जैन, मंत्री जयकुमार जैन, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद्र जैन, उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा, उपमंत्री आकाश चौधरी, अभिषेक मिठ्या, अमन, अजय जैन, जितेंद्र कुमार, संदीप जैन, अमित कुमार, गौरव जैन सहित निकटवर्ती सकल दिगम्बर जैन समाज एवं क्षेत्र प्रबंध समिति का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन ज्ञानचंद बबीना एवं आभार व्यक्त जयकुमार कंधारी व विशाल पवा ने किया।