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उत्कृष्ट तपस्वी मुनि श्री १०८ शाश्वत सागर महाराज की वर्षाकाल से ही दो उपवास एक आहार की तप साधना चंद्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी में

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चांदखेड़ी। परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के परम शिष्य पूज्य मुनि श्री 108 शाश्वत सागर महाराज अपनी उत्कृष्ट साधना कर रहे हैं। जो सचमुच हमारे जैन संतों की निष्काम साधना एवं उनकी निर्मोहिता, निष्प्रहता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती है।
कल पूज्य मुनि श्री का दो उपवास के बाद पारणा चांदखेड़ी में निर्विध्न सम्पन्न हुआ।
तपस्या पर एक नजर
जानकारी देते हुए श्री योगेश जैन बताते हैं कि पूज्य गुरुदेव जब मंगल विहार करते हैं तब भी उनकी एक उपवास एक हर की साधना का यह क्रम प्रतिदिन जारी रहता है। वह बताते हैं कि जब गुरुदेव ने चांदखेड़ी में मंगल प्रवेश किया था तब भी उनका उपवास था और 40 किलोमीटर चलकर वे क्षेत्र पर आए थे। पूज्य गुरुदेव मौन साधक है। और उनके नमक व शक्कर का त्याग है। और जब से वर्षा योग की स्थापना हुई यह तब से गुरुदेव लगातार दो उपवास एक आहार की साधना कर रहे हैं। निश्चित रूप से ऐसी साधना ऐसे साधक पंचम युग में मिलना एक हमारे लिए पुण्य का शुभ अवसर है। सचमुच गुरुदेव साधना का जीवंत प्रमाण है। इसके अतिरिक्त मुनि श्री ने डेढ़ माह से वैयावृती भी नही करवा रहे हैं। मात्र आत्म साधना में लीन रहते है।
जैन संत की साधना अपने आप में अद्भुत एवं अनुपम है। जो शब्दों की सीमाओं को असीमित कर देता है।
खानपुर नगर गौरव बाल ब्र. उषा दीदी ने कहा कि पर्युषण पर्व में प्रसिद्ध योगाचार्य श्री नवीन जी एवम सारिका जी जैन द्वारा नित्य प्रात: 5 से 6.15एवम सायकल में 8 से 9.30 तक क्रमश: आध्यात्म योग शिविर एवम हीलिंग थेरेपी की सेशन लगाई जा रही है। जिसमें रितु काला दीदी का भी सहयोग मिल रहा है। साथ ही योग साधना शिविर भी चल रहा है।
हमारे संतो के विषय में यही कहेंगे
महावीर की त्याग तपस्या तुमसे है जानी,
शास्त्रों के शब्दों की क्षमता तुमसे है मानी
तुम चारित्र के प्रखर सूर्य हो ज्ञान ज्योति वर दो इस वसुंधरा पर मेरे गुरुवर होय