Home धर्म अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागरजी महाराज /कुलचाराम हैदराबाद

अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागरजी महाराज /कुलचाराम हैदराबाद

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मैं वही कार्य करता हूँ जो मुझसे होता नहीं है..
इसलिए करता हूँ ताकि —
मैं सीख सकूं कि इसे कैसे करना चाहिए..?
बात की गहराई को समझिये — यह बहुत जरूरी है कि आप अपनी गलतियों से क्या सीखते हैं, क्या ग्रहण करते हैं, और क्या निर्णय लेते हैं-? गलतियाँ हर शुरूआत करने वाला करता है। लेकिन सफल लोग उसे पहचानते हैं, और उन्हें जल्दी ठीक करते हैं। असफल लोग गलतियाँ करने का जोखिम नहीं उठा सकते। जब आप असफल होते हैं तो शर्मिंदा होते हैं और जब आप सफल होते हैं तो गर्व महसूस करते हैं। दरअसल जब आप शर्मिंदा होते हैं तो खुद को ही गलत साबित कर रहे होते हैं। जब आप अपनी गलतियों से सीखते हैं तो सहज ज्ञान प्राप्त करते हैं।
असफलताएँ ऑब्जर्वेशन होती है। यह उस बारे में नहीं है कि भविष्य कैसा होगा-? उस बारे में है कि भविष्य कैसा होना चाहिए-? अगर असफल नहीं हो रहे हैं, इसका मतलब है – आप कुछ नया नहीं कर रहे, क्योंकि दूसरों के बनाए रास्ते पर चलना बहुत आसान है लेकिन खुद का नया रास्ता बनाना और लोगों को रास्ता दिखाना बहुत कठिन है। यदि आपको कोई बात चुभ रही है तो आप उस चुभन की डीप में जायें और खुद से पूछो क्यों-? और फिर सफलता के शिखर पर पहुँच जायें। क्योंकि गलती उसी से होती है जो मेहनत करता है। अन्यथा निठल्लों और निकम्मों की ज़िन्दगी तो दूसरों की कमी खोजने और आलोचना करने में खत्म हो जाती है…!!!।