डिग्गी। परम पूज्य मुनि श्री 108क्षमानंदी जी महाराज की समाधि सलेखना पूर्वक आचार्य श्री 108 इंद्रनंदी जी महाराजके चरणों में हुई। उन्होंने काफी दिनों से समस्त प्रकार की आहार का त्याग भी कर दिया था।
निश्चित रूप से उन्होंने उत्कृष्टता प्राप्त किया है एक साधु एवं साधक का लक्ष्य होता है कि संलेखना पूर्वक समाधि हो।
उनकी डोला यात्रा सोमवार प्रात 8:00 बजे निकाली जाएगी एवम उनकी समस्त क्रियाएं अग्रवाल सेवा सदन डिग्गी में संपन्न होगी।
मुनि श्री का जीवन परिचय
पूज्य मुनि श्री का गृहस्थ अवस्था का नाम गम्भीरमल जैन मित्तल था। यह माता अहजन देवी, एवम पिता मोतीलाल जैन मित्तल के राज दुलारे थे। इनका जन्म आसोज सुदी 6को संवत 2000 में हुआ था। आप ने कक्षा 8 तक शिक्षा अध्ययन किया एवं किराने का व्यापार किया।
इन्होने संसार से विरक्ति का भाव लिए जेठ सुदी 3 गुरुवार सन 2003 को ग्रह का त्याग कर दिया। आपने आचार्य श्री 108 श्रुतनदीजी महाराज से 18 नवंबर 2004 को क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की। वह मुक्ति के पद की ओर बढ़ते चले गए और समय आ गया जब उनकी मुनि दीक्षा हुई इनकी मुनि दीक्षा लावा राजस्थान में आसोज सुदी 6 गुरुवार संवत 2062 सन 2005 में हुई और नामकरण हुआ मुनिश्री108 क्षमानंदी महाराज कई वर्षों से यह आचार्य श्री 108 इंद्रनदी जी महाराज के साथ धर्म साधना रत रहे। और जीवन के अंत समय में उनकी समाधि उन्ही के चरणों में हुई। आपको बता दें कि इनका विवाह भी डिग्गी में ही हुआ था। इनके गृहस्थ अवस्था के पुत्र पुत्रवधु बिटिया सभी धर्म में संलग्न है। एवम उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय श्रीमती मालती देवी धर्म परायण थी।