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धर्म निरपेक्ष नालंदा विश्वविद्यालय में पूर्ववत जैन दर्शन और प्राकृत भाषा पाठ्यक्रम आरंभ करने की विश्व जैन संगठन की मांग

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प्राचीन नालंदा का जैन ग्रंथों में उल्लेख और नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाते थे जैन ग्रंथ लेकिन अब नहीं?
खुदाई में प्राप्त हुआ था नालंदा विश्वविद्यालय के समय का 4-5वी सदी का प्राचीन जैन मंदिर और 9-10वी सदी की ऋषभदेव भगवान की प्रतिमा और जैन तीर्थंकर प्रतिमाएं

नालंदा। विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजय जैन ने कहा कि 19 जून 2024 को भारत के प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर विश्वविद्यालय में जैन दर्शन और प्राचीन प्राकृत भाषा पाठ्यक्रम शामिल न किए जाने, नालंदा और राजगीर में जैन धर्म के प्रचलन में होने, भगवान महावीर द्वारा चातुर्मास किए जाने और यहां से खुदाई में प्राप्त प्राचीन जैन मंदिर और प्रतिमाओं का उल्लेख न करने का कारण समझ नहीं आया।
श्री संजय जैन ने बताया कि लोक सभा में 26 अगस्त 2020 को नालंदा विश्वविद्यालय बिल – 2010 पर चर्चा में चित्तौड़गढ़ सांसद डॉ गिरिजा व्यास द्वारा बिहार में 2500 वर्ष पूर्व गुणशिला यूनिवर्सिटी में महिलाओं के लिए जैन दर्शन की शिक्षा और कुंडलपुर में शारीरिक प्रशिक्षण दिए जाने की जानकारी देते हुए जैन नमोकार महामंत्र उल्लेख करते हुए यूनिवर्सिटी में धर्म निरपेक्षता के साथ अन्य धर्मों की शिक्षा के साथ – साथ जैन दर्शन सिद्धांत पढ़ाने की अनुशंसा की थी और सांसद श्री बाल आप्टे व अन्य सांसदों ने भी अनुमोदना की थी लेकिन वर्तमान में यूनिवर्सिटी में मात्र वैदिक और बौद्ध धर्म शिक्षा दिए जाना जैन दर्शन और प्राकृत के साथ भेदभाव है।
संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि पुरातत्व विभाग द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में नालंदा का जैन ग्रंथों व भगवान महावीर द्वारा नालंदा में 14 चातुर्मास काल व्यतीत करने का उल्लेख करने और प्राचीन विश्वविद्यालय के समय 4-5 वी सदी के प्राचीन जैन मंदिर व इसमें 15वी सदी की भगवान महावीर की प्रतिमा की खोज की थी और नालंदा विहार क्रमांक 1 से ऋषभदेव भगवान की 9 -10 वी सदी की प्राचीन प्रतिमा और नालंदा विहार 9, 10, 11 से जैन तीर्थंकर प्रतिमा प्राप्त होना यहां प्राचीन काल से जैन धर्म प्रचलन में होने के प्रमाण है।
श्री संजय जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 30 प्रमुख यूनिवर्सिटी में जैन विद्या और भारत की प्राचीनतम प्राकृत भाषा के पाठ्यक्रम संचालित है।


पुरातत्व विभाग द्वारा भी संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से यूनेस्को को नालंदा से जैन तीर्थंकर प्रतिमाएं प्राप्त होने और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में जैन शास्त्र पढ़ाए जाने की लिखित जानकारी दी गई है। जवाहर लाल यूनिवर्सिटी द्वारा भी 9 जुलाई 2024 को जैन दर्शन के लिए सेंटर आरंभ करने के प्रस्ताव पारित किया गया है।
श्री संजय जैन ने विश्व जैन संगठन और समस्त जैन समाज की और से केंद्र सरकार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, बिहार सरकार और नालंदा विश्वविद्यालय प्रबंधन समिति से नालंदा विश्वविद्यालय में अतिशीघ्र जैन दर्शन, जैन विद्या और प्राकृत भाषा पाठ्यक्रम आरंभ करने की मांग की और इस कार्य में संगठन और अनुभवी जैन विद्वानों द्वारा पूर्ण सहयोग किए जाने का आश्वासन दिया और प्राचीन नालंदा, तक्षशिला व विक्रमशिला विश्वविद्यालय से भी पूर्व बिहार में भगवान महावीर के जीवनकाल में आज से 2500 वर्ष पूर्व महिलाओं के लिए जैन दर्शन शिक्षा देने हेतु संचालित गुणशिला विश्वविद्यालय और कुंडलपुर में शारीरिक प्रशिक्षण संस्थान की खोज कर पुन: स्थापना की जाएं।