नांदणी । नांदणी की पावन धरा पर 1 जनवरी 2025 की सुबह एक नया इतिहास लेकर उदित होगी। यहां प्रात: से ही इंद्र-इंद्राणियां स्वर्ग के देवताओं की वेशभूषा में सुंदर सज-धजकर नजर आएंगे।
पंचकल्याणक को लेकर हर किसी के मन में सवाल उठते होंगे कि आखिर ये क्या है। इसका धार्मिक महत्व क्या है? तीर्थंकरों के जीवन में घटित पांच घटनाओं का चित्रण पंचकल्याणक में होता है। गर्भ में आने से लेकर मोक्ष तक की यात्रा पंचकल्याणक के माध्यम से देखने को मिलता है।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा उत्सव जैनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक है। तीर्थंकरों की पत्थर और धातु की मूर्तियों को केवल मूर्ति के रूप में लाया जाता है, जब प्रतिष्ठा हो जाती हैं , तब तीर्थंकर भगवान की प्रत्येक मूर्ति पूजनीय बन जाती है। फिर इन मूर्तियों की पूजा इस तरह की जाती है जैसे कि तीर्थंकर भगवान वास्तव में मौजूद हों और प्रतिदिन पवित्र धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
जैन धर्म में पंचकल्याणक में वे पाँच मुख्य घटनाएँ हैं,जो सभी तीर्थंकरों के जीवन में घटित होती हैं। ये पाँच कल्याणक हैं–
गर्भ कल्याणक : जब तीर्थंकर प्रभु की आत्मा माता के गर्भ में आती है।
जन्म कल्याणक : जब तीर्थंकर बालक का जन्म होता है।
दीक्षा कल्याणक : जब भगवन सब कुछ त्यागकर वन में जाकर मुनि दीक्षा ग्रहण करते है।
केवल ज्ञान कल्याणक : जब प्रभू को केवलज्ञान की प्राप्ति होती है।
मोक्ष कल्याणक : जब भगवान शरीर का त्यागकर अर्थात सभी अष्ट कर्म नष्ट करके मोक्ष को प्राप्त करते है।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की परम्परा यह बहुत प्राचीन परम्परा है। यह परम्परा अविरत रूप से चली आ रही है। आत्मा से परमात्मा बनने की प्रक्रिया का महोत्सव है पंचकल्याणक। धर्म संस्कार जनमानस तक पहुंचाने का माध्यम है पंचकल्याणक महोत्सव।
बुधवार 14 अगस्त 2024 को दोपहर 1 बजे श्री वृषभाचल अतिशय क्षेत्र नांदणी में 2025 साल में होनेवाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महामस्तकाभिषेक महोत्सव के यजमान पद सवाल का कार्यक्रम होगा l
जिसमें सौधर्म इंद्र – इंद्राणी, तीर्थंकर माता- पिता,ईशान्य इंद्र – इंद्राणी,धनपती कुबेर, सुवर्ण सौभाग्यवती, महायज्ञनायक, द्वादश इंद्र, मंडप उद्घाटन, ध्वजारोहण (मंदिर के सामने ), अखंड दीप प्रज्वलन, मंगल कलश स्थापना, लोकांतिक देव, पंचकुमार देव, ध्वजारोहण (मंडप के सामने), अष्टकुमारिका, प्रथम दिन के हाथी और घोड़े का सवाल आदी विविध सवाल संपन्न होंगे l
नांदणी में निर्मित वृषभाचल जैन तीर्थ पर 1 जनवरी से 9 जनवरी तक आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में और स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक महास्वामीजी नांदणी के अधिनेतृत्व में होने वाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा और महा मस्तकाभिषेक की तैयारियों के संबंध में महोत्सव समिति की एक बैठक वृषभाचल पर सभागृह में आयोजित की गई।
स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक महास्वामीजी नांदणी के अधिनेतृत्व में बैठक को चातुर्मास कमिटी महाराष्ट्र विभाग के अध्यक्ष रावसाहेब जी पाटील (सांगली), कर्नाटक विभाग के अध्यक्ष डॉ अप्पासाहेब जी नाडगोंडा ने संबोधित किया। प्रारंभ में स्वागत भाषण अप्पासाहेब जी भगाटे नांदणी द्वारा किया गया । बैठक में डॉ अजित जी पाटील (सांगली), महावीर गाट (कोल्हापूर),अरविंद जी मजलेकर (चिपरी), भरत जी गाट (हुपरी ), अरुण यलगुद्री (अथणी ), अजित भंडे (मालगाव), सुभाष मगदूम (शिरटी), सागर संभूशेटे (नांदणी), स्वप्निल देसाई (कोल्हापूर ), चंद्रकांत धुळासावंत (नांदणी), अमोल पाटील (हेरले )और अभिषेक पाटील (कोल्हापूर) उपस्थित थे l कर्नाटक, महाराष्ट्र प्रांत से अथणी,बोरगांव, उगार, बेलगांव, कोल्हापूर, सांगली, जयसिंगपूर आदि स्थानों से आए अनेक वरिष्ठजन उपस्थित थे।