कुंथुगिरी l वात्सल्यदाता जगतगुरू गणाधिपती गणधराचार्य कुंथुसागर जी महाराज का मंगल सानिध्य लेके आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज ससंघ कुंथुगिरी क्षेत्र से चातुर्मास स्थली नांदणी की ओर विहार किया था l
आचार्य भगवन गणाधिपती गणधराचार्य कुंथुसागर जी महाराज और आचार्य भगवन विशुद्धसागर जी गुरुदेव का भव्य मिलन कुंथुगिरी क्षेत्र पर हुआ l आचार्य भगवन विशुद्धसागर जी महाराज ससंघ का कुंथुगिरी क्षेत्र पर आगमन होने पर माहौल भक्तीमय हो गया l श्रावको द्वारा मुनीयों का पाद – प्रक्षालन कर संतों की अगवानी की l दोनो जैनाचार्यों का ससंघ स्वागत पुष्पवर्षा से किया l दोनों संत गले भी मिले l दो जैनाचार्योंका मिलन हुआ तो श्रावक भावूक हो उठे l इस दौरान वातावरण जयकारोंसे गुंज उठा l
यह दृष्य कभी -कभी देखने को मिलता है l इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी अनेक श्रावक -श्राविकाएं बने l इस दौरान कोई मोबाईल पर फोटो कैद करने में जुटा रहा तो कोई व्हिडीओ बनाते दिखा l
इस आत्मीयतापूर्ण आध्यात्मिक नजरे को देखने के लिए अनेक क्षेत्रो से लोग उपस्थित हुए थे l कुंथुगिरी में आध्यात्मिक मिलन पर भव्य समारोह का आयोजन हुआ l इस अवसरपर आयोजित धर्मसभा में दोनों आचार्यों ने अपने प्रवचनो से भक्तो को अमृत रसपान कराया l
कुंथुगिरी में पंचामृत अभिषेक हुआ l चर्याशिरोमणी आचार्य भगवन विशुद्धसागर जी को जगतगुरू कुंथुसागरजी महाराज द्वारा पिच्छी भेंट कीया गया lस्थानिक जैन समाज यह दृष्य देख अभिभूत हुआ l
साधू संत एकसाथ मंच पर आकर बैठ जाते हैं तो समाज को उपदेश देने व एकता की बात कहने की आवश्यकता नहीं पडती l लोग संत समागम के लिए तरसते है l
यह मिलन दुध में मिश्री मिलने जैसा है l जैसे दुध में मिश्री मिलने से मिठास बढता है वैसे ही यह अध्यात्मिक ऐतिहासिक मिलन हुआ है l इसे सदैव याद रखा जायेगा l संतो का मिलन सदैव मंगलकारी होता है l
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