प्रभात बेला में आगंतुक भक्त समूह के मध्य धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज ने कहा
जो व्यक्ति जिस भाव एवं जिस कर्म के द्वारा अपना समय व्यतीत करता है उसे अपने ही भाव व कर्म फल स्वरुप आगामी जीवन प्राप्त होता है अथवा यू कहे कि आज आप भी पुरुषार्थ कर रहे हैं कल वही भाग्य बनकर आपके सामने उपस्थित होगा इसलिए यदि आप अपना सुखी जीवन देखना चाहते हैं तो आप वर्तमान में भी सम्यक पुरुषार्थ का अनुष्ठान कीजिए।
दीक्षार्थियों की मांगलिक हल्दी आदि धार्मिक अनुष्ठान क्रियाओं पर प्रकाश डालते हुए आचार्य विमर्श सागर जी महामुनिराज ने कहा
वर्तमान में बैरागी जीवों की हल्दी आदि धार्मिक क्रियो को अज्ञानीजन रागवर्धक मानते हैं किंतु ध्यान रखना यह सब रस्में में वास्तव में बैरागी जीवों के दीक्षा से पूर्ण होने वाली सम्यक धार्मिक क्रियाविधि है जिसे आप रागी जीवों ने ग्रहण कर ली है बैरागी जीव दीक्षा धारण कर मुक्ति को प्राप्त करते हैं अतः “पुनः इन क्रियाओं को मैं प्राप्त नहीं करूंगा” इस पवित्र भावना से अंतिम बार मंगल स्वरूप यह सब धार्मिक अनुष्ठान संपादित किए जाते हैं
ध्यान रखना आपकी हल्दी और मेहंदी चार गतियां में भ्रमण करती है किंतु वैरागियों की हल्दी – मेहंदी चार गतियां से छुड़ाकर पंचम मोक्ष गति में पहुंचा देती है।
क्रोसर —
10 मई 2024 आज अक्षय तृतीया पर्व के शुभ दिन 13 दीक्षार्थियों की मंगल गोद भराई देहरे के बड़े बाबा के चरणों में एवं 24 पिछीधारी संतों के मध्य की जाएगी