Home बिलासपुर पर्यटक हो जाएं तैयार, कानन आने वाला है दिल्ली का गोराल

पर्यटक हो जाएं तैयार, कानन आने वाला है दिल्ली का गोराल

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बिलासपुर– कानन पेंडारी जू के पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही उन्हें दिल्ली जू के गोराल (पहाड़ी बकरा-बकरी) दिखाई देगा। एक जोड़ा गोराल के बदले कानन प्रबंधन चार चौसिंगा देगा। वन्य प्राणी अदला-बदली की इस प्रक्रिया को लेकर दोनों जू प्रबंधन के बीच आपसी सहमति बन गई है। साथ ही इसे पूरा करने के लिए दोनों ने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को अनुमति लेकर प्रस्ताव भेजा है। स्वीकृति मिलने के साथ ही दिल्ली जू प्रबंधन गोराल लेकर यहां पहुंचेगा।

कानन पेंडारी छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। यहां 65 से अधिक प्रजाति के 700 से अधिक वन्य प्राणी हैं। प्रबंधन प्रजातियां बढ़ाने के साथ उन वन्य प्राणियों का कुनबा बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, जो कम है। इनमें एक प्रजाति गोराल भी है। वर्तमान में कानन पेंडारी के भीतर केवल तीन गोराल है। इनमें एक मादा और दो नर हैं। हालांकि गोराल बढ़ाने का प्रयास तब हुआ, जब दिल्ली जू प्रबंधन ने पहले कानन पेंडारी जू को चौसिंगा देने के लिए प्रस्ताव भेजा। कानन में चौसिंगा सरप्लस है। पिछले दिनों पुणे को मुफ्त में चार चौसिंगा भी दिए गए। इसके अलावा जहां-जहां से प्रस्ताव आ रहे हैं, उन्हें स्वीकृति दी जा रही है। यही कारण है दिल्ली जू को चौसिंगा देने के लिए कानन प्रबंधन राजी हो गया। बदले में उनसे गोराल मांगा गया। इस पर दिल्ली जू प्रबंधन भी राजी हो गया है।

लेकिन, वन्य प्राणियों की अदला-बदली कोई भी जू तब तक नहीं कर सकता, जब तक केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण अनुमति नहीं दे देता। इसी अनिवार्यता को देखते हुए ही दोनों जू ने प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजकर अनुमति मांगी है। प्राधिकरण की अगली बैठक जब भी होगी, उसमें इस प्रस्ताव को लेकर चर्चा होगी। कानन प्रबंधन का मानना है कि स्वीकृति मिलना तय भी है। गोराल लेकर दिल्ली जू प्रबंधन बिलासपुर आएगा। इसके बाद यहां से चौसिंगा लेकर सदस्य जाएंगे।

संरक्षण व वंश वृद्धि है मुख्य वजह

कानन पेंडारी जू में केवल तीन गोराल हैं। इनका कुनबा नहीं बढ़ पा रहा। संख्या बढ़ाने के लिए दिल्ली जू से मांग की गई है। एक वजह संरक्षण भी है। दरअसल केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने पहाड़ी बकरे की घटती संख्या को देखते हुए वर्ष 2015 में आदेश जारी कर संरक्षण व वंश वृद्वि का आदेश देशभर के चिड़ियाघर को जारी किया था। इस दौरान कानन में प्रयास किया गया और दिल्ली से ही जोड़े में पहाड़ी बकरा व बकरी लाए गए थे। वर्तमान में संख्या बेहद कम है। इसलिए दोबारा वहीं से गोराल लाने का प्रयास किया जा रहा है।