HIGHLIGHTS
- मृतक के परिवार को 10 लाख 78 हज़ार रुपये मुआवजा देने हाई कोर्ट का आदेश
- करंट से युवक की मौत-हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने माना बिजली विभाग की लापरवाही
- निचली अदालत के फैसले को किया रद,विभाग के तर्क को किया खारिज
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश में करंट से मौत के मामले में मृतक के परिवार को मुआवजे के तौर पर 10 लाख 78 हज़ार रुपये देने का निर्देश बिजली विभाग को दिया है। डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को केवल इसलिए मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने समय सीमा के बाद याचिका दायर की थी। खासकर तब जब बिजली विभाग की ओर से लापरवाही स्पष्ट हो रही है।
अदालत के सामने जब याचिका आयी तब उसमे घटना को लेकर बिजली विभाग की ओर से तैयार पंचनामा की कापी पेश की गई थी। विभाग ने इसे चार नवंबर.2019 को तैयार किया था। इसमें बताया गया कि हेमंत खंभे पर चढ़कर डीओ लगाने की कोशिश कर रहा था। इस दौरान करंट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने बिजली विभाग के तर्क से सहमत होते हुए हेमंत को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए मृतक के स्वजनों ने अपने अधिवक्ता के जरिए छत्तीसगढ़ हाई काेर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल के डिवीजन बेंच में हुई।
निचली अदालत के फैसले को किया रद,विभाग के तर्क को किया खारिज
मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने बिजली विभाग के उस दावे को खारिज कर दिया कि तय समयावधि बीते जाने के बाद याचिका दायर की है। निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए मृतक के परिजनों को बतौर मुआवजा 10 लाख 78 हज़ार रुपये क्षतिपूर्ति राशि देने का निर्देश बिजली विभाग को दिया है।