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तीर्थराज सम्मेद शिखर जी पर रोपवे बनाए जाने का प्रबल विरोध

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  • जैन श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं सहेगा जैन समाज

पार्श्वमणि – धरती का स्वर्ग अनेकानेक भव्य जीवों  की तप, त्याग और साधना की पवित्र पावन भूमि 20 तीर्थंकरों  की निर्वाण स्थली जिसके इसलिए कहा जाता है एक बार बंदे जो कोई ताहि नरक पशुपति नहीं हाई एक बार भावपूर्ण वंदना करने से पशु और नरक गति दोनों के ही बंधन छूट जाते हैं ऐसे पवित्र पावन तीर्थ क्षेत्र जिसकी माटी  का कण कण  पूजनीय वंदनीय अभिनंदनीय है जहां जाने से संपूर्ण पापों का परिमार्जन अर्थात पापों का नाश  हो जाता है और पुण्य का संचय होता है ऐसे तीर्थराज सम्मेद शिखर तीर्थ पर केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण NHAI द्वारा 6 किमी लंबे रोप-वे बनाने का निर्णय लिया जाना बड़ा दुखद निर्णय है।  जो कि बिना जैन समाज की प्रबंध कमेटियों की आज्ञा के लिया गया है । संपूर्ण भारत की जैन समाज इस निर्णय से आहत है यह निर्णय  उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व ही कई वर्षो पुराना  इंदौर स्थित गोमटगिरी क्षेत्र का मसाला सुलझा । उनको रास्ते के लिए जमीन देनी पड़ी देखिए कैसी  विधि की विडंबना है एक तीर्थ का मामला सुलझा तो तीर्थराज सम्मेद शिखर जी का मसाला उलझा । यह हमारे साथ कैसी विडंबना है उधर कई सालो पूर्व  हमारे प्राचीन तीर्थ गिरनार क्षेत्र पर हमारे मुलनायक भगवान नेमिनाथ जी के चरण चिन्ह के पास दत्तात्रेय की  प्रतिमा स्थापित कर  गेट बना दिया गया और  बाद में 117 करोड रुपए उस दत्तात्रेय मंदिर के सौंदरीकरण के लिए गुजरात  की सरकार ने मंजूर कर दिए गए। यह जैन समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ है अभी नहीं तो कभी नहीं अब समय आ गया है हमें इस विषय पर संपूर्ण जैन समाज को मिलकर ठोस निर्णय लेने का प्रयास करना चाहिए।अब पंथवाद ग्रंथवाद संतवाद  से ऊपर उठकर धर्म बचाओ तीर्थ बचाओ तीर्थ पर बाउंड्री वॉल करवाओ  यह नारा जैन समाज को अंतरंग में धारण करना पड़ेगा इस पर संपूर्ण साधु संतों का भी ध्यान केंद्रित करना होगा ।                       वह समय निकल गया है जब हम नए-नए गगन चुंबी मंदिर बनाएं करोड़ों  की लागत से नए मंदिर बनाने की जगह जितने भी प्राचीन तीर्थ अतिशय सिद्ध क्षेत्र हैं जैन तीर्थ स्थान है जो हजारों करोड़ों की लागत से बने है जो भी निर्वाण क्षेत्र, जन्म क्षेत्र और तीर्थंकरों के कल्याणक जहां हुए हैं तीर्थ आतिशय सिद्ध क्षेत्र हैं उनकी प्राचीन भव्यता ऐतिहासिकता  पुरातत्वता ज्यो की त्यों  बनी रहनी चाहिए ।उनकी सुरक्षा के लिए  ऐसा  घेरा बनाया जाए ऊंची ऊंची बाउंड्री उठाई जाए बिना अनुमति प्रवेश न दिया जाए । यात्रियों के  रुकने की सुलभ व्यवस्था की जाए यात्रियों की संख्या बढ़ाई जाए और कानूनी रूप से सभी प्रकार की दस्तावेज कंप्लीट  शीघ्र किया जाए।  छोटे बडे सभी साधु संत निरंतर इन स्थानों में चातुर्मास ग्रीष्मकालीन शीतकालीन वाचना करते रहे शिविर आदि का आयोजन करते रहे । जैन लोगों को जागरूक करें अब आप सरकार के भरोसे नहीं रह सकते है। दो तीन साल के संपूर्ण बड़े छोटे आयोजन मात्र तीर्थों की रक्षा और सुरक्षा को समर्पित हो।