सागर – महान आचार्यों ने गुरु शब्द की कई व्याख्या की है आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के रूप में जो हीरा पूरे विश्व को दिया है इस कारण से आप और हम सब उनके उपकारी हैं और वे पूरे विश्व का अंधकार मिटा रहे हैं और जो अंधकार को दूर करें उसका नाम ही गुरु है यह बात मुनि श्री अजितसागर महाराज ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भाग्योदय में कहीं । मुनि श्री ने कहां पंचम काल में साक्षात अरिहंत भगवान नहीं है लेकिन ऐसे आचार्य भगवन ही जिन शासन की पताका लेकर के चल रहे हैं और फैला रहे हैं आचार्य गुरुदेव अमृत की खान है और जो गुरु के लिए समर्पित हो गया धन्य है क्योंकि उनकी कभी दुर्गति नहीं होगी । मुनि श्री निर्दोष सागर महाराज ने कहा चातुर्मास प्रतिस्ठापन कहलाता है चातुर्मास साधुओं का होता है और पहले श्रावको का भी होता था बे आठ माह व्यापार करते थे और चार माह सब छोड़कर धर्म आराधना करते थे गुरु के वचन हमेशा उपादेय हैं और वे जो कहें वह सही है गुरु की महिमा बरनी ना जाए संसार में सबसे बड़ा कोई है तो वह गुरु है जैन सिद्धांत में समर्पण बड़ा होता है समर्पण में कोई तर्क नहीं होता है।
मुनि श्री निरुपम सागर महाराज ने कहा कि आचार्य भगवन सभी जीवो के गुरु हैं और सभी जीव उन्हें अपना गुरु मानते हैं हम सब ऋणी हैं ऐसे महान गुरु की कृपा पा करके हम सभी अपने आप को धन्य मान रहे हैं और उनकी छाया में अपना कल्याण कर रहे हैं उन्होंने कहा जो लोग दर्शन करने जाते हैं यदि गुरुदेव की एक नजर उन तक पड़ जाए तो वह इतने खुश होते हैं जैसे दुनिया की सारी दौलत होने मिल गई है गुरुदेव दीर्घायु हो ऐसी सब की भावना है आचार्य कुंदकुंद के 2000 साल बाद ऐसे गुरु इस दुनिया को प्राप्त हुए हैं ऐलक श्री दया सागर महाराज ने कहा गुरु मां के समान है जो हमेशा अपने शिष्यों और भक्तों का ध्यान रखते हैं आचार्य श्री हमेशा कहते हैं की विवेकपूर्ण कार्य करना चाहिए ज्ञान और विवेक के साथ ही हमेशा सफलता मिलती है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आचार्य भगवन की महा पूजन का सौभाग्य सागर नगर की सभी महिला मंडलों को प्राप्त हुआ। शास्त्र भेंट प्रशांत जैन सानौधा, सुरेंद्र डबडेरा, शिव कुमार जैन बासौदा, देवेंद्र जैना, सुमत जैन आदि ने किये मंगलाचरण राम्या जैन मानवी जैन गंजबासौदा ने किया कार्यक्रम का संचालन मुकेश जैन ढाना ने किया