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नगर गौरव श्री विमर्श सागर जी महा मुनिराज के पादमूल में भव्यता से मनाया “गुरु पूर्णिमा” महा महोत्सव

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जतारा – जिस माटी में पैदा हुए, जिस माटी में खेलें, पढ़े और बड़े हुए, आज युवा राकेश कुमार जैन अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व में उत्तरोत्तर वृद्धि कर जैन शासन के महान साधक, वर्तमान के सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित आचार्य 108 विमर्शसागर जी महा मुनिराज के रूप में अपनी ही जन्मभूमि पर चातुर्मास स्थापना कर रहे हैं । 03 जुलाई को देशभर से पधारे हजारों गुरुभक्तो ने जन्मभूमि जतारा की धरा पर आकर गुरु चरणों में मनाया “गुरु पूर्णिमा महापर्व । ” गुरु पूर्णिमा पर्व के पावन अवसर पर आचार्य गुरुवर के चरणों में, चरणरज-पाद-प्रक्षालन  करने का परम सौभाग्य, राजधानी दिल्ली से गुरुभक्त जिनागम पंथी श्री मनीष कुमार जैन ने प्राप्त किया वहीं गुरुदेव के कर कमलो में जिनवाणी. शास्त्र भेंट करने का परम सौभाग्य अवध प्रांत से पधारे चन्द्रकुमार जैन ने प्राप्त किया।

सुन्दर – सुसज्जित अष्टद्रव्यों से किया गुरु चरणों का आराधना

गुरु पूर्णिमा पर्व और साथ में हो गुरु चरणों का सानिध्य,ये सौभाग्य जन्मों-जन्मों का जब पुण्योदय आता है तब जाकर कुछ विरले भक्तों को यह परम सौभाग्य प्राप्त होता है । शान्ति मैरिज गार्डन मे गुरु पूर्णिमा के महापर्व पर सुन्दर मनमोहक वेष भूषा के साथ पवित्र अष्टद्रव्यों को गुरु चरणों में समर्पित कर भक्तों ने अपने गुरुवर की आराधना कर अपने भाग्य को सराहा। गुरु पूर्णिमा का महत्व समझाते हुए आचार्य गुरुवर में कहा हमें जीवन में, अपने सद्गुरु के उपकार को कभी नहीं भूलना चाहिए । सतगुरु हमें सतत धर्म के मर्म को समझाते हुए, हम अपने जीवन को किस तरह धर्म मय बना सकते हैं और किस तरह हम अपने जीवन को सार्थक कर सकते हैं, इसका सदुपदेश देते हैं, यदि हम गुरु के बताए मार्ग पर चलें तो निश्चित ही हम अपनी यह मानव पर्याय सार्थक कर सकते है ।

 उन्होंने कहा गुरु हमारे अवगुणों को दूर कर सद्गुणों से परिपूर्ण कर देते है । इस अवसर पर आऐ  समस्त गुरु भक्तों को पूज्य आचार्य गुरुवर ने मंद मंद मुस्कान के साथ आशीर्वाद प्रदान किया । भारतीय जैन संगठन तहसील अध्यक्ष एवं जैन समाज उपाध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रातः काल श्री मंदिर जी में भक्तामर महामंडल विधान उपरांत दोपहर 12:00 से पूज्य आचार्य संघ सहित भव्य शोभायात्रा निकली, जो नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए कार्यक्रम स्थल शांति मैरिज हाउस पहुंची , जहां भक्तों ने पूर्ण भव्यता से अपने गुरु के उपकारों का गुणगान किया ।देश भर से गुरु चरणों की रज पाने के लिए दिल्ली, गाजियाबाद, टीकमगढ़, आगरा, लखनऊ, महमूदाबाद, सिवनी, इन्दौर, भोपाल, कोटा, बिजयनगर, अशोकनगर, बाराबंकी आदि नगरों से आऐ भक्तों ने एवं क्षेत्रीय जैन समाज ने गुरुवर की चरणरज को माथे से लगाकर अपने जन्म और जीवन को धन्य किया । कार्यक्रम का कुशल संचालन पूज्य मुनि श्री विचिंत्य सागर जी महाराज के निर्देशन में बाल ब्रह्मचारिणी विशू दीदी एवं भोपाल से पधारे ब्रह्मचारी श्रद्धेय आशीष भैया पुण्यांश द्वारा किया गया ।