डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि समय के साथ – साथ काल भी परिवर्तित होते रहता है चाहे चतुर्थ काल हो, पंचम काल हो या कोई भी काल हो छठवे काल को छोड़कर धर्म के साथ – साथ अधर्म के कार्य भी होते रहे है | युद्ध के द्वारा क्या सही है और क्या गलत है इसका निर्णय होता है | जिसमे जितनी कूबत होती है, जितने ज्यादा बहुमूल्य शस्त्रार्थ होते हैं वे उनका उपयोग युद्ध में करते हैं | जब लड़ाई चालू हो गयी तो सैनिक एक – दूसरे को मारते हैं | उसी बीच 2 -3 सैनिक जख्मी होकर वही गिर जाते हैं और उठ नहीं पाते तभी वहाँ एक व्यक्ति (डॉक्टर) आता है और उनका प्राथमिक उपचार (दवाई पट्टी आदि ) करता है | वह व्यक्ति (डॉक्टर) यह नहीं देखता है कि यह सैनिक पक्ष का है या विपक्ष का है | डॉक्टर का धर्म (कर्तव्य) उस पीड़ित का ईलाज करना है चाहे वह डॉक्टर पाकिस्तान का हो और सैनिक भारत का हो या डॉक्टर भारत का हो या सैनिक पाकिस्तान का हो | उस समय भी धर्म पल सकता है और पलता है किन्तु यह सब होते हुए भी अनीति परक कार्य होते हैं | इस बात को लेकर डॉक्टर कभी अनीति पूर्ण कार्य नहीं करते हैं | धर्म क्या है यह समझ में तो आता है इस बात को लेकर सोचते हैं कि कुछ अनीति कर्म करने वाले होते है जैसे कौरव और पांडव के युद्ध में हुआ था एक तरफ पूरी सेना कौरव से साथ खड़ी थी तो दूसरी तरफ पांडव केवल पांच ही थे | अश्वथामा का नाम तो सुना ही होगा एक अश्वथामा हांथी को कहते हैं और एक अश्वथामा एक व्यक्ति को कहते हैं | युद्ध कि निति है कि युद्ध दिन में ही होता है परन्तु आज युद्ध रात में होता है और दिन में आराम होता है | भारत कभी किसी से युद्ध नहीं करता यह शांति प्रिय देश है | वर्तमान में १८ महीने से दो देशों के बीच युद्ध चल रहा हैं जिसे बड़े से बड़े देश रोक नहीं पा रहे हैं वहाँ केवल भारत से ही यह उमीद कि जा रही है कि वह इस युद्ध को रुकवाय और कुछ देश बड़ी मात्रा में शस्त्रार्थ बेचने में लगे हैं | धर्म करना है यहाँ व्यापार नहीं करना | अनीति के लिये एक और युद्ध प्रसिद्ध है जिसमे भरत चक्रवर्ती बहुत धर्म कर्म करने वाला रहता है और सभी विद्याओं में निपुण होता है | जो वैरागी होता है वैरागी का यहाँ अर्थ है वै यानि निश्चय और रागी का अर्थ राग है | जो निश्चय से रागी था | 3 धर्म युद्ध हारने के बाद भी चौथा युद्ध अनीति पूर्वक किया जिसमे भरत चक्रवर्ती ने बाहुबली के ऊपर चक्र चलाया जो कि बाहुबली कि तीन परिक्रमा लगाकर वापस आकर भारत चक्रवर्ती के पास खड़ा हो गया | यह सुदर्शन चक्र कभी नाकाम नहीं होता लेकिन इसे भरत चक्रवर्ती ने अनीति पूर्वक चलाया था क्योकि बाहुबली इनके परिवार के ही सदस्य (बंधू) थे जिस पर यह चक्र कार्य नहीं करता | पुराण ग्रन्थ में लिखा है कि सुदर्शन चक्र कभी नाकाम नहीं होता लेकिन चक्र को अनीति पूर्वक चलाने के कारण वह चक्र निति पूर्वक वापस आ गया | भरत चक्रवर्ती बड़ा भाई होने के बावजूद अनीति पूर्वक युद्ध में जीतना चाहता था पर आज तक अनीति कभी विजय प्राप्त नहीं कर पायी है | इसे देख बाहुबली को वैराग्य हो गया | युद्ध में कोई भी सेना का सदस्य आहत हो जाता है तो डॉक्टर का कर्तव्य होता है कि उसकी निष्पक्ष चिकित्सा (ईलाज) करे | इसी प्रकार गुरु को भी निष्पक्ष होकर धर्म कि बात सभी को कहना चाहिये | इतनी भारी वर्षा में नदी – नाले में इतना पानी भरा है जिसे आप लोग पार करके धर्म सभा में आये हो जिसका धर्म लाभ आपको मिले यही प्रभु से प्रार्थना है | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्री हल्केलाल जी जैन, पुष्पा जी जैन, रितेश जी जैन, दिया जी जैन, रिदीमा जी जैन डोंगरगांव (छत्तीसगढ़) निवासी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ के चातुर्मास कलश स्थापना 2 जुलाई २०२३ दिन रविवार को होगी | क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |