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डॉक्टर कल्याणमल गंगवाल ने पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए पहल करने की अपील की

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पुणे (विश्व परिवार)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बैलगाड़ी दौड़, जल्लीकट्टू औरकम्बाला (भैंस दौड़) का रास्तासाफ कर राज्यों के बनाए कानूनों को मान्य कर दिया है, इसलिए आम आदमी को अब पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए पहल करने की जरूरत है। साथ ही इस प्रकार की. दौड़ का आयोजन पशु प्रेमियों के लिए परेशान करने वाला।और चौंकाने वाला है। आगे क्या होगा यह कहा नही जा सकता लेकिन बहरहाल सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले को  मानना ही होगा।

इस संदर्भ में शाकाहार प्रचारक डॉक्टर कल्याणमल गंगवाल ने बताया कि हम इस संबंध में 2009 से लड़ रहे हैं। हमने सत्र न्यायालय और साथ ही उच्चतम न्यायालय में पहले के मामले जीते थे। कोर्ट का यह फैसला हम सभी के लिए है। पुणे में शाकाहारी कार्यकर्ता और पशु प्रेमी जो बैलगाड़ी दौड़ पर प्रतिबंध लगाने के लिए लड़ रहे हैं, चिकित्सा सुविधा प्रदान करने और अत्याचार न हो, यह सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं। चूंकि इसका उपयोग राजनीति और मनोरंजन के  लिए किया जा रहा है, इसलिए सरकार ने पशु सरक्षण अधिनियम में संशोधन किया और अधिनियम को अदालत में पेश किया। अदालत ने कल कानून को वैध ठहराते हुए बैलगाड़ी दौड़ पर प्रतिबंध को बरकरार रखा। जल्लीकट्टू या बैलगाड़ी  की दौड़ जानवरों पर खूब होती है। हमे पशुओं पर क्रूरता को रोकने के लिए हमें आगे आना चाहिए वह इसके लिए पहल करना चाहिए।

– संकलन अभिषेक जैन