डोंगरगढ़ (विश्व परिवार)। संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है । आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने एक दृष्टान्त के माध्यम से बताया कि एक स्थान पर चार – पांच लोग कुछ चर्चा कर रहे थे उसी समय वहाँ कुछ दूर एक सर्प निकल रहा था तो एक व्यक्ति ने उसकी ओर पत्थर फेका सर्प ने मुड़कर देखा कि वह पत्थर किसने उसे मारने के लिये फेका है और उसे लगा कि ये लोग मिलकर उसे मार देंगे तो वह सर्प वहाँ से चला गया । एक सप्ताह पश्चात बहुत से लोग रात्रि में एक जगह सो रहे थे तभी वहाँ वह सर्प आया और सोते हुए लोगो के पास जाकर उनका चेहरा देखने लगा एक बार वह सभी के ऊपर से चल कर निकल गया परन्तु जिसे वह ढूंढ रहा था वह उसे नहीं मिला फिर दोबारा वह फिर से सभी के पास जाकर उनका चेहरा देखने लगा तब उसे वही व्यति मिल गया जिसने उसके ऊपर पत्थर फेंका था और वह सर्प उसे डस लेता है और वहाँ से चला जाता है फिर वहाँ अफरा – तफरी मच जाती है । सर्प एक संज्ञी जीव है और उसके पास भी स्मरण सकती होती है इसे शास्त्रों में जाती स्मरण कहा जाता है जो अतीत में हुआ और भविष्य में या अगले भव में स्मरण में आ जाये । इसका आज भी विज्ञान के पास कोई तथ्य नहीं है कि ये क्या और कैसे होता है । इस प्रकार सर्प ने अपना प्रतिशोध लिया । आज माता – पिता को भी अपनी संतान के बारे में सोचना चाहिये कि वह जो पढाई कर रहा है उसका उदेश्य क्या है और उसका वह क्या उपयोग करेगा । पहले व्यापारी लोग व्यापार के लिये विदेश जाते थे और आज बच्चे पैकेज में जा रहे है उनका उद्देश्य भी धनार्जन है परन्तु विद्यार्थी का प्रथम उद्देश्य राष्ट्र हित होना चाहिये अगर वह राष्ट्र हित का कार्य करेगा तो उसका स्वयं का हित अपने आप ही हो जायेगा । आज चुनाव में भी ऐसा देखने में आता है कि जो चुनाव जीतता है वह पक्ष का और जो चुनाव हारता है वह विपक्ष का होता है और पांच साल तक केवल उसका अहित ही चाहता है परन्तु हमें पक्ष विपक्ष को छोड़कर राष्ट्रपक्ष के बारे में सोचना चाहिये जिससे राष्ट्र हित हो सके । ये जो 2000 का नोट बंद हुआ है यदि यह राष्ट्र हित के लिये किया गया है तो हम भी इसके पक्ष में है । सर्प का दृष्टान्त बताने का उद्देश्य यह है कि सर्प एक संज्ञी जीव होते हुए अपने प्रतिशोध के लिये अपनी स्मरण शक्ति को इतना बढ़ा सकता है तो विद्यार्थी को अपने लक्ष्य कि प्राप्ति और राष्ट्र हित के लिये अपने प्रतिबोध को स्मरण शक्ति को इतना बढ़ाना चाहिये कि जिससे वह अपने जीवन में सफल हो सके । हमें अपनी स्मरण शक्ति को प्रतिशोध नहीं प्रतिबोध में लगाना चाहिये जिससे स्वयं का परिवार का समाज का और सम्पूर्ण राष्ट्र का विकास हो सके । आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य प्रतिभा स्थली कि ब्रह्मचारिणी प्रज्ञा दीदी परिवार नागपुर निवासी को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी । श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है । कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके । उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है ।