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बदलती कांग्रेस के बारे में क्या कहता है खरगे का बढ़ता कद? पार्टी के हर इतिहास से वाकिफ हैं नए पार्टी अध्यक्ष

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Congress: कांग्रेस पार्टी के उतार-चढ़ाव भरे इतिहास को देखते हुए अब पार्टी नेताओं को ही इसका भार अपने कंधों पर उठाना होगा.

Mallikarjun Kharge: मल्लिकार्जुन खरगे को जब से कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है वह कांग्रेस के लिए एक अहम नेता के रूप में उभरे हैं.

खरगे भारत के सबसे पुराने राजनीतिक संगठन का नेतृत्व करने वाले सबसे योग्य राजनेता हैं. 80 वर्षीय नेता 1969 से पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस की हर स्थिति को बेहद करीब से देखा है. दो बैलों की जोड़ी से लेकर दाहिनी हथेली के चिन्ह तक वह कांग्रेस के सफर में साथ रहे हैं.

ऐसे समय में भी वह पार्टी के साथ खड़े रहे जब तमाम लोग राजनीतिक स्वार्थ के लिए पार्टी का साथ छोड़ रहे थे. कई हंगामे और गुटबाजी के बीच खरगे का पार्टी के साथ लंबा जुड़ाव एक विचारधारा और उनके पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. वह जमीन से जुड़े रहे हैं. इतने लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़े रहना इस बात की गवाही देता है कि उन्हें पार्टी की काफी गहरी समझ है.

परिवारवाद से इतर बनाया पार्टी अध्यक्ष

मल्लिकार्जुन खरगे 16वीं लोकसभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता थे. वह कर्नाटक के गुलबर्गा से कांग्रेस सांसद के रूप में चुने गए. एक स्वच्छ सार्वजनिक छवि वाला नेता होने के साथ ही आम लोगों में उनकी काफी अच्छी पकड़ है. कांग्रेस ने परिवारवाद से इतर उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया. यह कांग्रेस की जरूरत थी. हर पार्टी में उठकर गिरने और गिरकर उठने का सिलसिला लगा रहता है. कांग्रेस की स्थिति भी फिलहाल ऐसा ही है. हालांकि, अब पार्टी खुद को पूरी तरह से मजबूत कर रही है.

पार्टी नेताओं को अपने कंधों पर उठाना होगा भार

यह साफ है कि कांग्रेस के उतार-चढ़ाव भरे इतिहास को देखते हुए अब पार्टी नेताओं को ही इसका भार अपने कंधों पर उठाना होगा. खरगे ऐसे नेता हैं जो कांग्रेस के हर इतिहास से बखूबी वाकिफ है. अब ऐसे सवाल भी उठते हैं कि पहले से ही अगर ऐसा कुछ हुआ होता कि कांग्रेस पार्टी की कमान डॉ अंबेडकर या जगजीवन राम को सौंप दी जाती, जिन्होंने हर स्थिति में कांग्रेस को देखा था और कई चुनौतियों से बाहर भी निकाला था.

कांग्रेस को आखिरकार यह समझ आ गया है जनता के साथ जुड़ना कितना जरूरी है. राहुल गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा की मदद से लगातार आम जनता के बीच पार्टी की खोई हुई पहचान वापस लाने में लगे हुए हैं. जनता के बीच वह देश भर में घूमकर पार्टी को मजबूती दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर इसके बाद भी कांग्रेस को पहले की तरह मजबूती नहीं मिलती है तो उन्हें तो कांग्रेस को यह मलाल नहीं होगा कि उन्होंने कोशिश नहीं की.