इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) ने दुनिया के सबसे महंगे शहरों की सूची जारी कर दी है.
पहली बार ऐसा हुआ है जब न्यूयॉर्क सबसे महंगे शहरों की सूची में पहले स्थान पर आया हो. न्यूयॉर्क संयुक्त रूप से सिंगापुर के साथ पहले स्थान पर है. पिछले साल जारी की गई रैंकिंग में नंबर एक पर रहा तेल अवीव अब तीसरे स्थान पर है. कुल मिलाकर, दुनिया के सबसे बड़े शहरों में रहने की औसत लागत इस साल 8.1% बढ़ी है.
सबसे महंगे शहरों में अमेरिका के लॉस एंजिल्स और सैन फ्रांसिस्को भी टॉप 10 में शामिल हैं. लॉस एंजिल्स सँयुक्त रूप से हांगकांग के साथ चौथे स्थान पर जबकि सैन फ्रांसिस्को आठवें स्थान पर है. इस साल की शुरुआत में, अमेरिकी मुद्रास्फीति 40 से अधिक वर्षों में सबसे अधिक थी. अमेरिका में उच्च मुद्रास्फीति न्यूयॉर्क के सूची में सबसे ऊपर होने के कारणों में से एक है. अमेरिकी शहरों की महंगाई के लिए मजबूत डॉलर भी एक मुख्य कारक है.
टॉप-10 में शामिल अन्य देशों की बात करें तो स्विट्जरलैंड का ज़्यूरिख शहर छठे, स्विट्जरलैंड की राजधानी जेनेवा सातवें, अमेरिका का सैन फ्रांसिस्को आठवें, फ्रांस की राजधानी पेरिस नौवें और दसवें स्थान पर संयुक्त रूप से ऑस्ट्रेलिया का शहर सिडनी व डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन शामिल हैं. यूक्रेन में युद्ध और कोविड के प्रभाव को महंगाई वृद्धि के कारकों में माना गया है. (Image: AP News)
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद आंशिक रूप से पश्चिमी प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप रूस की राजधानी मॉस्को और रूस का शहर सेंट पीटर्सबर्ग रैंकिंग में क्रमशः 88 और 70 स्थानों से बढ़कर 37वें और 73वें स्थान पर पहुंच गया. सर्वेक्षण में 173 शहरों में वस्तुओं और सेवाओं के लिए अमेरिकी डॉलर में लागत की तुलना की गई है. आपको बता दें कि इस वर्ष की समीक्षा में कीव को शामिल नहीं किया गया था. (सांकेतिक फोटो)
172 शहरों में किए इस सर्वेक्षण में विश्व के सबसे अधिक महंगे शहर की बात करें तो 172वें (सबसे कम महंगा शहर) स्थान पर सीरिया की राजधानी दमिश्क रही. भारत का अहमदाबाद शहर 165वें, चेन्नई 164वें, बेंगलुरु161वें स्थान पर रहे.
EIU ने दुनिया भर के 172 शहरों के 200 से अधिक उत्पादों और सेवाओं में 400 से अधिक व्यक्तिगत कीमतों की तुलना की. शोध का नेतृत्व करने वाली उपासना दत्त ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध, रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों और चीन की शून्य-कोविड नीतियों ने “आपूर्ति-श्रृंखला की समस्याएं पैदा की हैं.” दत्त ने कहा, “बढ़ती ब्याज दरों और विनिमय दर में बदलाव के कारण दुनिया भर में लागत का संकट पैदा हो गया है.” उन्होंने कहा कि ईआईयू के सर्वेक्षण में 172 शहरों में औसत मूल्य वृद्धि “20 वर्षों में हमने सबसे मजबूत देखी है जिसके लिए हमारे पास डिजिटल डेटा है.