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खराब मौसम ने 70 फीसदी घटा दिया उत्‍पादन, दशहरी सहित तमाम वैराइटी के बढ़ सकते हैं दाम!

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दशहरी सहित आम की तमाम रसीले वैराइटी का स्‍वाद चखने का इंतजार कर रहे लोगों को इस बार निराश होना पड़ सकता है. खराब मौसम की वजह से आम की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई. आम उत्‍पादकों का कहना है इस साल आम का उत्‍पादन 70 फीसदी तक कम रह सकता है.

भारतीय आम उत्‍पादक संगठन के अध्‍यक्ष इंसराम अली ने बताया कि इस बार उत्‍पादन कम होने की वजह से गर्मियों में आम की कीमतें बढ़ जाएंगी. लखनऊ व उसके आसपास होने वाले दशहरी सहित अन्‍य वैराइटी के आम का उत्‍पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. हर साल यूपी में जहां 35 से 45 लाख मीट्रिक टन का उत्‍पादन होता है, वहीं इस बार सिर्फ 10-12 लाख मीट्रिक टन उत्‍पादन होने का अनुमान है.
कीमतों में आएगा बंपर उछाल
इंसराम अली ने कहा, खपत के मुकाबले आम का उत्‍पादन बेहद कम रहने की वजह से इस साल इसकी कीमतों में बंपर उछाल की आशंका है. इस साल फरवरी-मार्च में तापमान औसत से काफी ज्‍यादा रहा जिससे वजह से आम के पेड़ों पर फूल आते ही नुकसान हो गया. आम के बौर लगने के समय अमूमन 30 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत होती है, लेकिन इस साल मार्च में यह तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. इससे आम के बौर को काफी नुकसान पहुंचा.

इस साल आम की सबसे खराब फसल
दुनियाभर में आम उत्‍पादन के लिए मशहूर लखनऊ के मलीहाबाद में इस साल फसलें काफी खराब हो गई हैं. यहां आम का उत्‍पादन करने वाले मोहम्‍मद नसीम का कहना है कि इतनी बुरी हालत मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखी है. मेरी तरह यूपी के हजारों आम उत्‍पादक इस साल खराब फसल की वजह से मुश्किल में हैं. इस साल मार्च का तापमान 122 साल में सबसे ज्‍यादा रहा, जबकि अप्रैल 50 साल का सबसे गर्म महीना था. इसी वजह से फल आने से पहले ही फसल खराब हो गई.

दुनियाभर में निर्यात होता है आम
इंसराम अली ने कहा, यूपी हमारे देश में आम निर्यात का सबसे प्रमुख राज्‍य है. यहां से सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी तक आम भेजा जाता है. इस बार तो घरेलू खपत ही पूरी करने भरका उत्‍पादन नहीं हो सका है. इसके अलावा जो निर्यातक पिछले साल कोरोना महामारी के प्रतिबंधों की वजह से आम विदेशों में नहीं भेज पाए थे, वे इस साल कम उत्‍पादन की वजह से आम नहीं भेज सकेंगे.