देश में रिटेल इंफ्लेशन इस समय 8 सालों के हाई पर चल रहा है. थोक मुद्रास्फीति 17 सालों के उच्च स्तर पर चली गई है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से संभवतः महंगाई यानी मुद्रास्फीति में गिरावट देखने को मिल सकती है. अभी वर्तमान स्थिति के लिए कई अंतरराष्ट्रीय कारक हैं.
दूसरी छमाही में कीमतों में गिरावट
शीर्ष सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है. ग्लोबल सप्लाई चेन में व्यवधान, चीन का लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध मुद्रास्फीति के वैश्विक स्रोत हैं. हम महंगाई को कम कर सकते हैं, लेकिन खत्म नहीं कर सकते.
उत्पाद शुल्क में हुई है कटौती
शनिवार को केंद्र ने पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कमी थी. इससे उपभोक्ताओं के लिए कीमत में क्रमशः 9.5 रुपये और 7 रुपये की कमी आई है. पीएम उज्ज्वला योजना के तहत नौ करोड़ लाभार्थियों को कवर करने के लिए प्रति गैस सिलेंडर 200 रुपये की सब्सिडी की भी घोषणा की गई. इन कदमों से सरकार को हर साल क्रमशः 1 लाख करोड़ रुपये और 6,100 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की थी.
हर उपाय की अपनी कीमत
अधिकारी ने कहा कि इसका (मुद्रास्फीति) कोई आसान जवाब नहीं है. इसे कम करने के हर उपाय की अपनी कीमत होती है. यह तब होता है जब आप बाहर से आने वाली किसी वस्तु की आपूर्ति को नियंत्रित नहीं कर सकते. हम इसके प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. आप महंगाई को कम कर सकते हैं, खत्म नहीं कर सकते, कोई जादू की छड़ी नहीं है.
अधिकारी ने कहा कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कीमतों में कमी देखी जा सकती है. विकसित देशों द्वारा मौद्रिक उपाय किए जा रहे हैं. रूस- यूक्रेन युद्ध का प्रभाव कम हो सकता है. चीन में लॉकडाउन और मंदी भी एक फैक्टर है. इसका मतलब भारत में आम लोगों के लिए अक्टूबर के बाद से कुछ राहत हो सकती है, जब त्योहारों का मौसम शुरू हो जाता है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है.