रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings ने 2022-23 में भारत के आर्थिक विकास दर ( India’s Economic Growth) के अनुमान ( Projection) को घटा दिया है. रेटिंग एजेंसी ने रुस – यूक्रेन युद्ध ( Russia – Ukraine War) के लंबे खींचने और महंगाई में उछाल के चलते 2022-23 में भारत के GDP ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
2022-23 में 7.3 फीसदी रहेगा GDP ग्रोथ
S&P Global Ratings ने अपने ग्लोबल मैक्रो रिपोर्ट अपडेट टू ग्रोथ फोरकास्ट में कहा है कि महंगाई का लंबे समय तक बने रहना चिंता का कारण है जिसके चलते सेंट्रल बैंकों को ब्याज दरें बढ़ाना पड़ेगा. इससे आउटपुट के साथ रोजगार पर असर पड़ सकता है. S&P ने दिसंबर 2021 में 2022-23 में भारत का जीडीपी 7.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी 7.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है तो 2023- 24 में जीडीपी 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. S&P के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी रहा है.
महंगाई करेगी परेशान
S&P Global Ratings ने 2022-23 में खुदरा महंगाई दर 6.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जो आरबीआई के 5.7 फीसदी के अनुमान से कहीं ज्यादा है. इससे पहले ब्रोकरेज हाउस मार्गन स्टैनले ( Morgan Stanley) ने भी कहा था कि बढ़ती महंगाई ( Inflation), उपभोक्ता की तरफ से कमजोर मांग ( Weak Consumer Demand), कड़े वित्तीय हालात ( Tight Financial Conditition) के चलते बिजनेस सेंटीमेंट ( Business Sentiment)पर बुरा असर पड़ेगा साथ ही कैपिटल एक्सपेंडिंचर ( Capex) के रिकवरी में भी देरी होगी. कीमतों में उछाल और कमोडिटी ( Commodity) के बढ़ते दामों के चलते महंगाई बढ़ेगी ही साथ ही चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) भी बढ़कर 10 साल के उच्ताचतम स्तर 3.3 फीसदी तक जा सकता है.
रूस – यूक्रेन युद्ध से बढ़ी मुश्किलें
बहरहाल Morgan Stanley के अब S&P Global Ratings द्वारा अगले दो वर्षों तक के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि रूस – यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल समेत, कमोडिटी और खाने के तेल के दामों में उछाल का किस हद तक भारत पर दुष्प्रभाव पड़ा है. अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 8 साल के उच्चतम स्तर 7.79 फीसदी पर जा पहुंचा है तो होलसेल महंगाई दर 9 साल के उच्चतम स्तर 15.08 फीसदी पर जा पहुंचा है. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है. लेकिन महंगाई बढ़ेगी तो कर्ज और महंगा हो सकता है जिसका असर डिमांड पर पड़ेगा.