भारत और चीन के बीच सीमा विवाद किसी से छिपा हुआ नहीं है. चीन भारत के हजारों किलोमीटर हिस्से पर अपना दावा करता रहा है. ये विवाद और भी गहराता दिख रहा है. ओपन सोर्स इंटेलीजेंस, डेट्रस्फा (‘डैमिन सिमोन’) के मुताबिक, चीन ने पैंगोंग-त्सो लेक पर एक दूसरा पुल निर्माण कर रहा है, जो सामरिक एलएसी इलाके में बख्तरबंद वाहनों को ले जाने में सक्षम है. डेट्रस्फा ने इसकी सैटेलाइट इमेज भी जारी की है. ये पुल पहले वाले के एकदम बराबर में बनाया जा रहा है.
तीन हफ्ते के भीतर तैयार किया पुल
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन पहले पुल का इस्तेमाल अपनी क्रैन को तैनात करने समेत दूसरे निर्माण उपकरण लाने के लिए कर रहा है. इसके ठीक बगल में नया पुल, इस साल अप्रैल में बनाए गए पुल से बड़ा और चौड़ा है. जानकारी के मुताबिक, चीन द्वारा इस पुल का निर्माण कार्य तीन हफ्ते से भी कम समय के भीतर कर लिया गया. बता दें नया पुल दोनों तरफ से एक साथ बनाया जा रहा है.
आपको बता दें कि 135 किलोमीटर लंबी पैंगोंग त्यो जो कि एक लैंडलॉक झील है. पैंगोंग झील जो आंशिक रूप से लद्दाख और तिब्बत में है. जिसे लेकर मई 2020 में भारत और चीन के बीच तनाव उत्पन्न हुआ था. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा पहले बनाया जा रहा दूसरा पुल पहले के पुल के मुकाबले आकार में बड़ा और चौड़ा है. जिसका साफ मतलब है कि चीन न केवल इस पुल से सैनिकों और वाहनों बल्कि बख्तरबंद स्तंभों को भी तेजी से शामिल करने की योजना बना रहा है. जबकि पहले के पुल में केवल सैनिक और हल्के वाहन ही ले जाए सकते थे.
आपको बता दें कि चीन ऐसा पहली बार नहीं कर रहा है. इससे पहले भी चीन सीमा के उस पार रेल, सड़क और एअर कनेक्टिविटी बढ़ाता रहा है. यही नहीं चीन ने सीमा के नजदीक गांव भी बसा दिए हैं. साथ ही वहां पर 5G मोबाइल नेटवर्क भी तैयार कर लिए हैं.