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देश के 74 फीसदी प्रदेशों में संतोषजनक दायरे से बाहर निकली महंगाई दर, कई राज्यों की स्थिति बेहद खराब

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अप्रैल में भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 95 महीने के सर्वोच्च स्तर पर रहा. 12 मई को जारी आंकड़े के अनुसार, अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी थी. यह आरबीआई द्वारा तय महंगाई के संतोषजनक दायरे (2-6 फीसदी) से लगातार चौथे महीने ऊपर रही है.

हालांकि, कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में यह देश की कुल महंगाई दर से भी तेजी से बढ़ी है. दादर व नागर हवेली में 9 महीनों से ये औसतन 8.3 फीसदी से ऊपर रही है. यह भारत में किसी भी क्षेत्र में सर्वाधिक खुदरा महंगाई दर है.

अधिकांश प्रदेशों में 6 फीसदी अधिक रही महंगाई दर
सीपीआई डेटा के अनुसार, अप्रैल में खुदरा महंगाई दर कुल 26 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में 6 फीसदी से ऊपर रही. यह भारत के 35 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों का करीब 74 फीसदी है. अप्रैल में 9.12 की सर्वाधिक महंगाई दर फीसदी पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई. इसके बाद मध्य प्रदेश में यह 9.10 फीसदी और तेलंगाना में 9 फीसदी से थोड़ा ऊपर रही. कुल 13 राज्य व केंद्र शासित प्रदेश ऐसे रहे जिनकी अपनी महंगाई दर भारत की सम्मिलित महंगाई दर से ऊपर निकल गई. केवल मणिपुर (2.29 फीसदी) और गोवा (4.01 फीसदी) ऐसे 2 क्षेत्र रहे जहां महंगाई दर आरबीआई के संतोषजनक दायरे में दर्ज की गई.

महंगा ईंधन इसकी बड़ी वजह
महंगे ईंधन ने ऊर्जा संबंधी उत्पादों के साथ-साथ उन वस्तुओं के भी दाम बढ़ा दिए हैं जिन्हें ट्रांसपोर्ट के जरिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है. अगर ट्रांसपोर्ट में अधिक खर्च होगा तो कई क्षेत्रों में वस्तुओं की आपूर्ति करने में चुनौतियां पैदा होंगी.

महंगाई दर और आरबीआई
पिछली 3 तिमाहियों में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.1 फीसदी, 5 फीसदी और 6.3 फीसदी रही है. अगर लगातार 3 तिमाहियों में यह 6 फीसदी से ऊपर रहती है तो इसे केंद्रीय बैंक की नाकामी के रूप में देखा जाता है.

महंगा ईंधन इसकी बड़ी वजह
महंगे ईंधन ने ऊर्जा संबंधी उत्पादों के साथ-साथ उन वस्तुओं के भी दाम बढ़ा दिए हैं जिन्हें ट्रांसपोर्ट किया जाता है. अगर ट्रांसपोर्ट में अधिक खर्च होगा तो कई क्षेत्रों में वस्तुओं की आपूर्ति करने में चुनौतियां पैदा होंगी.