संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने गुरुवार को ‘रूसी आक्रमण से उत्पन्न यूक्रेन में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति’ पर जांच का दायरा बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पर मतदान किया. भारत उन 12 देशों में शामिल रहा, जिन्होंने मतदान से परहेज किया. वहीं 47 सदस्यीय इस संगठन में शामिल चीन और इस्ट्रिया ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया. मतदान से पहले हुई चर्चा में भारत शामिल हुआ और यूक्रेन में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की और यहां तक कि युद्धग्रस्त देश से नागरिकों को मानवीय सहायता देने की मांग करने वाले आह्वान का भी समर्थन किया.
यूएनएचआरसी के 34वें विशेष सत्र में ‘रूसी आक्रमण के कारण यूक्रेन में मानवाधिकार की स्थिति में गिरावट’ का एक मसौदा प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव के पक्ष में 33 वोट पड़े. भारत ने यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति की वकालत की. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने यूक्रेन में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आबादी वाले क्षेत्रों में आर्टिलरी सिस्टम, मल्टीपल रॉकेट सिस्टम, मिसाइल और हवाई हमले जैसे हथियारों के इस्तेमाल से उस देश में मौजूदा स्थिति पैदा हुई है.
बाचेलेट ने कीव और चेर्निहाइव में संयुक्त राष्ट्र की जांच रिपोर्टों पर प्रकाश डाला. उन्होंने मानवाधिकार परिषद के सदस्यों को बताया कि सिर्फ कीव क्षेत्र में ही हजारों लोगों के शव मिले हैं. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त कई मानवाधिकार विशेषज्ञों ने यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत के बाद से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित मानवाधिकार कानूनों के उल्लंघन पर गहरी चिंता व्यक्त की है. इनमें यूक्रेन में सैकड़ों-हजारों प्रवासी कामगारों और विदेशियों में से कुछ के खिलाफ दुर्व्यवहार शामिल है.