रिजर्व बैंक ने बुधवार को अचानक से ब्याज दरों में बढ़ोतरी का झटका दे दिया. रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि से सभी तरह के कर्ज अब महंगे हो जाएंगे. महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक की ओर से यह कदम उठाया गया है.
रिजर्व बैंक ने दो साल बाद रेपो रेट में वृद्धि की है. साथ ही सीआरआर में भी आधा फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की है. इसी के साथ सस्ते कर्ज का दौर अब खत्म होने वाला है क्योंकि अब तमाम बैंक और फाइनेंस कंपनिया देर-सबेर कर्ज की ब्याज दरें बढ़ाने को मजबूर होंगे.
एक फीसदी तक की वृद्धि संभव- उदय कोटक
कोटक महिंद्रा बैंक के सीईओ और एमडी उदय कोटक के मुताबिक, रिजर्व बैंक महंगाई को लेकर काफी गंभीर है. यह एकदम साफ था कि महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही थी. इसलिए स्पष्ट तौर पर कदम उठाने की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि महंगाई के इतना अधिक बढ़ने का जोखिम नहीं लिया जा सकता जब इस पर काबू पाना कठिन हो जाए.
उनका मानना है कि रेपो रेट में आगे भी रिजर्व बैंक बढ़ोतरी करता रहेगा. चालू वित्त वर्ष (2022-23) के अंत तक रेपो रेट में 1 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. उदय कोटक ने कहा कि रेपो रेट बढ़ने के बाद धीरे-धीरे बैंक एमसीएलआर में बढ़ोतरी करेंगे. साथ ही फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर अब ज्यादा मिलेगा.
सीआरआर में भी वृद्धि से दोहरा झटका
रिजर्व बैंक ने इस बार सीआरआर (नगद आरक्षित अनुपात) में भी आधा फीसदी की बढ़ोतरी की है. इससे एक झटके में बैंकिंग सिस्टम से 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निकल जाएंगे. इसका मतलब यह भी हुआ कि बैंकों के पास अब कर्ज देने के लिए पहले की तुलना में कम पूंजी बचेगी. इस दोहरी मार का असर सीधे-सीधे ब्याज दरों पर पड़ेगा और ग्राहकों को ज्यादा ईएमआई देनी होगी.
जानकारों का मानना है कि बैंकिंग सिस्टम में फिलहाल नगदी काफी मात्रा में मौजूद है, इसलिए कर्ज की लागत में धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.