भारत सरकार ने विदेश से रक्षा सामग्री मंगाने पर बहुत हद तक पाबंदी लगा दी है. इन सबके बीच अमेरिका सहति कई देशों से पहले से हुई डील भी रूक गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार सिर्फ बहुत जरूरी होने पर ही विदेशी रक्षा सामग्री मंगाने की अनुमति है. इन सबके बीच अमेरिका से 30 प्रीडेटर ड्रोन मंगाने की योजना भी खटाई में पड़ गई थी. लेकिन इन प्रीडेटर ड्रोन की आवश्यकता है या नहीं, इसे लेकर अब थ्री स्टार जनरल की एक समिति बनाई गई है जो यह फैसला करेगी कि जब तक भारत इस तरह का ड्रोन नहीं बना लेता है, तब तक इसकी जरूरत है या नहीं और अगर है तो कितनी ड्रोन की आवश्यकता है.
दो ड्रोन अमेरिका से लीज पर
प्रीडेटर ड्रोन खरीद की डील को अमेरिका के साथ सीमित कर दिया गया था. फिलहाल भारत ने दो यही प्रीडेटर ड्रोन अमेरिका से लीज पर लिया हुआ है जो समुद्री में चीनी गतिविधियों की निगरानी कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत इस तरह के ड्रोन भारत में बनने शुरू हो गए हैं लेकिन इसमें अभी वक्त लगेगा. तब तक भारत जल, थल और नभ की निगरानी के लिए रक्षा विशेषज्ञ इस ड्रोन की जरूरत पर बल दे रहे हैं. यही कारण है सरकार ने सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि तीनों सेना को कितने ड्रोन की आवश्यकता है. पहले की डील के मुताबिक भारत ने 30 ड्रोन का ऑर्डर दिया था जो तीनों सेनाओं को बराबर हिस्से में मिलता है.
दूर से दुश्मन के लक्ष्य को भेद सकता
सूत्रों के मुताबिक तीने सेना को निगरानी के साथ-साथ दुश्मन के लक्ष्य को दूर से ही भेदने के लिए इस ड्रोन की जरूरत है. गौरतलब है कि रक्षा क्षेत्र में लगभग सभी प्रकार के डील को या तो रद्द कर दिया गया है या रक्षा मंत्रालय द्वारा रोक दिया गया है. भारत ने अमेरिका से 12 P-8I एंटी पनडुब्बी वारफेयर और निगरानी जहाज भी लिया हुआ है जो भारतीय समुद्री क्षेत्र की निगरानी में लगे हैं. इस तरह के 6 और जहाज पर काम चल रहा था. अब भारत सरकार के निर्देश के मुताबिक जल्द इस डील को लेकर फैसला होने की संभावना है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रक्षा क्षेत्र में सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशीकरण पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. सिर्फ उन्हीं हथियारों को विदेश से खरीदने की अनुमति है जिनका यहां बनना नामुमकिन है.
लगातार 48 घंटे की उड़ान
प्रीडेटर ड्रोन की खासियत यह है कि यह बहुत ऊंचाई पर जाकर जमीन या समुद्र पर बारीक नजर रखता है जो दुश्मन के किसी भी गतिविधियों को पलक झपकते ही भांप लेता है. साथ ही साथ इसमें मिसाइल भी लगे होते हैं जो किसी भी नापाक हरकत की स्थिति में दुश्मन के हथियार को नेस्तनाबूत कर देता है. यह एक बार में लगातार 48 घंटे तक उड़ान भर सकता है और अपने साथ 1700 किलोग्राम की मिसाइल या हथियार ले जा सकता है. इससे ऑटोमेटिक फायरिंग भी की जा सकती है. इसकी जरूरत इसलिए ज्यादा महसूस की जा रही क्योंकि भारतीय समुद्री क्षेत्रों या हिन्द महासागर में चीनी नापक हरकतें बढ़ी हैं जिसपर निगरानी की सख्त आवश्यकता है.