पश्चिम बंगाल में हर साल दुर्गा पूजा का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है. हालांकि पिछली बार कोरोना संक्रमण ने इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी लेकिन इस बार कोरोना से बचते हुए लोग दुर्गा पूजा पंडाल के दर्शन के लिए निकल रहे हैं. सरकार की तरफ से लोगों से गुजारिश की गई है कि कोरोना प्रोटोकॉल को मानते हुए अनिवार्य रूप से मास्क पहनें, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें और सामाजिक दूरी बनाए रखें. वहीं बड़े पंडालों के अंदर जाने पर भी रोक लगा दी गई है. लोगों को अपने पसंदीदा और फेमस पंडाल को बाहर से ही देखना पड़ रहा है. पूजा पंडाल प्रबंधनों ने एंट्री गेट को इतना बड़ा बनाया है कि दर्शनार्थी बाहर से ही मां को देख सकते हैं. वैसे तो 10 दिन तक मनाए जाने वाले इस उत्सव को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं.
कोलकाता के विभिन्न इलाकों में लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर अलग-अलग थीम पर मां दुर्गा के पूजा पंडाल बनाए जाते हैं. ये पंडाल लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. खास बात यह है कि इस बार ये सभी पंडाल मां की भक्ति के साथ-साथ यहां आने वाले लोगों को कई महत्वपूर्ण संदेश भी दे रहे हैं जिनमें किसान आंदोलन और NRC जैसे राजनीतिक मुद्दे भी शामिल हैं.आपको बता दें कि लोगों को जागरूक करने का काम ये पंडाल पिछले कई वर्षों से बखूबी निभा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं इस बार की दुर्गा पूजा में कोलकाता के कौन से 6 पंडाल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं और क्यों.
श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब
कोलकाता के श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब ने इस बार दुबई के बुर्ज खलीफा के थीम पर दुर्गा पूजा 2021 का पंडाल तैयार किया है. कोरोना प्रोटोकॉल के चलते किसी भी दर्शानार्थी को पंडाल के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई है. हालांकि बाहर से पंडाल के दर्शन किए जा सकते हैं. पंडाल का गेट इतना बड़ा बनाया गया है कि लोग बाहर से ही मां दुर्गा के दर्शन आसानी से कर सकते हैं.
दमदम पार्क भारत चर्क
दमदम पार्क भारत चर्क पूजा कमिटि ने इस बार अपने पंडाल को किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी में हुई घटना की थीम पर तैयार किया है. महालया के दिन ही इस पूजा पंडाल का उद्घाटन हो चुका है. पंडाल के चारों तरफ बड़े-बड़े स्क्रीन लगाकर किसान आंदोलन के बारे में लोगों को बताया जा रहा है.
66 पल्ली
दक्षिण कोलकाता के 66 पल्ली पूजा क्लब में इस बार महिला पुरोहित पूजा करेंगी. ये इस बार इस पंडाल की खासियत है. इस पूजा पंडाल की थीम- ‘मायेर हाथे मायेर आह्वन’ रखा गया है जिसका अर्थ है मां ही मां को पुकारेंगी. कोलकाता में पहली बार दुर्गा पूजा महिला पुरोहितों द्वारा किया जा रहा है. महिला पुरोहितों की इस टीम का नेतृत्व नंदिनी करेंगी जो कि पहले संस्कृत की प्रोफेसर रह चुकी हैं.
बागुईहाटी बंधु महल क्लब
बागुईहाटी के बंधु महल क्लब में इस बार मां दुर्गा की मूर्ति में सोने की आंखें लगाई गई हैं. वहीं मां दुर्गा को जिस साड़ी में लपेटा गया है उस पर सोने की कढ़ाई की गई है. आपको बता दें कि साड़ी की कीमत 1.5 लाख रुपये है और मूर्ति की आंखें 10 ग्राम से अधिक सोने से बनी हैं.
बेहाला बरिशा क्लब
बेहाला के बरिशा क्लब में इस बार की दुर्गा पूजा ने राजनीतिक रुख अपनाया है. यहां पर एक प्रवासी मां की तरह दुर्गा जी की मूर्ति को तराशा गया है. इस वर्ष की थीम ‘भागेर मां’ (मां का विभाजन) है और यह विशेष रूप से एक डिटेंशन कैंप के अंदर एक परिवार के जीवन का विवरण देती है. इस पूजा पंडाल को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) और खुद को शरणार्थी के रूप में खोजने वाले लोगों की दुर्दशा को दर्शाया गया है.
नलिन सरकार स्ट्रीट पूजा पंडाल
नलिन सरकार स्ट्रीट के पूजा पंडाल में 70 के दशक के बॉलीवुड को दीवारों पर दर्शाया गया है. हाथ से पेंट किए गए विज्ञापनों, पुराने फिल्म पोस्टर और अभिनेता कटआउट के साथ पूजा पंडाल को सजाया गया है. थीम को ‘फिरिये दाओ तुलिर टान’ नाम दिया गया है, जिसका अर्थ है- वापस ब्रश की दुनिया में ले चलो. यहां पर कला का एक ऐसा रूप पेश किया गया है जो डिजिटल युग में खो गया है.