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कोरोना का बढ़ा खतरा: तीसरी लहर से क्या पड़ेगा अर्थव्यवस्था पर असर? पैदा हो सकते हैं लॉकडाउन जैसे हालात

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भारत में कोरोना वायरस के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी से न सिर्फ लोगों की जान गई है, बल्कि इससे देश की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ी है। लोग ज्यादा कर्ज लेने पर मजबूर हुए हैं। कोरोना के चलते करोड़ों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं। वहीं जो नौकरी कर रहे हैं, उनकी आय में भारी कमी आई है। इस बीच महंगाई ने मुश्किलें और भी बढ़ा दी हैं। स्वास्थ्य के मद में खर्च बढ़ गया है।

तीसरी लहर का खतरा
अब तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। कोरोना महामारी की तीसरी लहर से लोग सहमे हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रॉस ए गेब्रेयेसिस ने कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर अभी शुरुआती दौर में हैं। दुनियाभर में डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या अभी गिनती में हैं। अभी इसे बेकाबू होने से रोकना संभव है, हमेशा की तरह इस बार भी अगर लापरवाही हुई तो पहले से भी भयावह नतीजे सामने होंगे।

फिर बढ़ने लगे कोरोना के मामले
पिछले चार दिन के दौरान कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ने शुरू हो गए। 12 जुलाई को देश में 31 हजार नए मामले मिले तो 13 जुलाई को इनकी संख्या 38 हजार पहुंच गई। इसके बाद 14 जुलाई को 41 हजार से ज्यादा नए केस सामने आ गए और 15 जुलाई को 41 हजार 806 नए मरीज मिले जिससे खौफ पसरने लगा है। ओडिशा और मणिपुर में जहां लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दी गई है वहीं कर्नाटक ने दिसंबर तक के लिए जिला पंचायत का चुनाव टाल दिया है।

पैदा हो सकते हैं लॉकडाउन जैसे हालात, नौकरियां जाने का खतरा
हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर अगस्त महीने में आ सकती है, और सितंबर में अपने चरम पर होगी। यानी कोरोना महामारी की तीसरी लहर आई तो फिर लॉकडाउन या कोरोना कर्फ्यू लगाने जैसे हालात पैदा हो सकते हैं और एक बार फिर सब ठप्प पड़ सकता है। जिससे लोगों की नौकरियां जाने और बेरोजगारी दर बढ़ने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि 31 मार्च, 2021 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।

दूसरी लहर से करीब एक करोड़ लोगों की नौकरी गई
मालूम हो कि मार्च के आखिर में जब कोरोना के दूसरी लहर ने रफ्तार पकड़ी तो अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू की शुरआत हो गई। इससे करीब एक करीब लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई का डाटा के मुताबिक दूसरी लहर की वजह से करीब एक करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं। वहीं कोरोना की पहली लहर में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण मई 2020 में बेरोजगारी दर 23.5 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गई थी। वहीं इसका आकलन यह भी है कि बेरोजगारी दर अप्रैल में आठ फीसदी थी जो मई में 12 फीसदी रही। जिन लोगों की नौकरियां गईं उन्हें नया काम मिलने में मुश्किल आई और हालात अभी तक नहीं सुधरे हैं।

भारी उछाल ला सकती है असावधानी
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि भारत के पास अभी भी वक्त है। हम चाहें तो यह स्थिति नहीं आएगी। लोग अगर नियमों का पालन करते हैं तो अगली लहर देश में नहीं आएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में पीएम ने काफी स्पष्ट संदेश दिए हैं। पीएम ने कहा है कि देश में अगली लहर आने का इंतजार नहीं किया जा सकता है। इस लहर को आने नहीं देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि तीसरी लहर कब आएगी की जगह इस लहर को कैसे रोका जाए? इस पर चर्चा होनी चाहिए। डॉ. पॉल ने यहां तक कहा है कि सतर्कता, सावधानी और सजगता का पीएम ने संदेश दिया है। उन्होंने यहां तक कहा कि आज की स्थिति में असावधानी भारी उछाल ला सकती है। इसे रोकना बहुत जरूरी है। दो गज की दूरी, मास्क और टीकाकरण कोरोना को रोकने के लिए काफी हैं। इन शस्त्रों के जरिए महामारी को फिर से आने से रोका जा सकता है।