केरल के स्थानीय निकायों में कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों और स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों ने हैरान करने वाली स्थिति पैदा कर दी है. कोविड की मौतों पर आरटीआई के जरिए मिले आंकड़ों के मुताबिक, एक महीने में 404 कोविड मौतों से आंकड़ा बढ़कर 10 हजार से ज्यादा मौतों के रजिस्ट्रेशन पर पहुंच गया. तीन महीनों के भीतर 2000 फीसदी से ज्यादा का उछाल दर्ज किया गया. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में कहा गया कि स्थिति काफी हद तक कंट्रोल में है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च और मई के बीच दूसरी लहर के दौरान केरल में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 4500 थी, लेकिन मौतों के रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों में ये संख्या 12500 है, जो कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से करीब तीन गुना ज्यादा है. अप्रैल और मई में केरल में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या में आश्चर्यजनक तौर पर अंतर दिखाई दिया. रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल और मई में केरल में क्रमश: 1554 और 10602 मौतें दर्ज की गईं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में ये मौतें क्रमश: 687 और 3507 थीं.
बेकाबू मौतों का उछाल
अप्रैल और मई के बीच कोरोना का केसलोड 4 लाख से बढ़कर 9 लाख हो गया था. बेकाबू उछाल से परेशान केरल का स्वास्थ्य विभाग मौतों की गिनती भी भूल गया. स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक आंकड़ों में करीब 7095 मौतों का अंतर है. निकायों में रजिस्ट्रेशन के आंकड़े बताते हैं कि मई में 10 जिलों में कुल मौतों का पंजीकरण का 30 फीसदी कोरोना से था. पलक्कड़ में मई में कोविड की मौतों का रजिस्ट्रेशन सबसे ज्यादा है. मई में पलक्कड़ में कुल मौतों के रजिस्ट्रेशन का 41 फीसदी कोविड से हुई मौतें थीं. 2020 की तुलना में 2021 में स्थानीय निकायों में कोविड मृत्यु पंजीकरण के पैटर्न में भारी बदलाव आया, जिसके परिणामस्वरूप इतनी बड़ी असमानता हो सकती है.
2020 में 3,072 मौतों को आधिकारिक तौर पर घोषित किया गया था और 2,347 मौतों को कोविड की मृत्यु के रूप में दर्ज किया गया था. ये आंकड़ों का बहुत बड़ा अंतर नहीं था. 2021 में 10163 कोविड की मौतों की आधिकारिक घोषणा की गई थी. वहीं राज्य में स्थानीय निकायों ने जून तक 17,237 कोविड मौतें दर्ज कीं.