ऐसी चर्चा है कि मंजीत सिंह की नाराजगी काफी पहले से है. उन्हें 2020 में हुए बिहार विधान सभा चुनाव में जेडीयू से टिकट नहीं मिला था. गठबंधन की वजह से बैकुंठपुर की सीट बीजेपी के खाते में चली गई थी.
पटनाः सियासत में दल-बदल का खेल पुराना है. हालांकि कोई भी पार्टी अपने खासमखास नेता को जाने नहीं देना चाहती. वह उसे रोकने के लिए हर तिकड़म अपनाने में जुट जाती है. आज कल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. वे अपने एक पूर्व विधायक मंजीत सिंह को लेकर इन दिनों परेशान ही नहीं हैं बल्कि रात में एक घंटे तक फोन पर बात कर उन्हें मनाया भी है.
दरअसल, जेडीयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने हाल ही में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. ऐसी चर्चा है कि मंजीत सिंह तीन जुलाई को आरजेडी में शामिल हो जाएंगे. इस बात की जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जानकारी हुई तो उन्हें अब मनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
मंजीत सिंह मानेंगे या फिर लेंगे यू टर्न ?
जानकारी के अनुसार, मंजीत सिंह से मिलने के लिए नीतीश कुमार ने लेसी सिंह और जय कुमार सिंह को निर्देश दिया कि मंजीत को पार्टी से किसी भी हाल में जानें नहीं दें. इस निर्देश के बाद मंत्री लेसी सिंह रातोंरात बैकुंठपुर (गोपालगंज) में मंजीत सिंह के घर पहुंच गईं. पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह, जेडीयू के वरिष्ठ नेता राणा रणधीर सिंह चौहान भी उन्हें मनाने के लिए पहुंचे. अब जेडीयू में इस बात को लेकर संशय बरकरार कि मंजीत सिंह मानेंगे या फिर यू टर्न लेंगे.
पार्टी छोड़ने के पीछे टिकट नहीं मिलना वजह तो नहीं ?
बता दें कि ऐसी चर्चा है कि मंजीत सिंह की नाराजगी काफी पहले से है. उन्हें 2020 में हुए बिहार विधान सभा चुनाव में जेडीयू से टिकट नहीं मिला था. गठबंधन की वजह से बैकुंठपुर की सीट बीजेपी के खाते में चली गई थी जिसपर मिथिलेश तिवारी चुनाव लड़े और वह हार गए थे. मंजित सिंह की राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है और उनके पिता की गोपालगंज की सियासत में अच्छी पकड़ थी. उनके पिता भी नीतीश के खास माने जाते थे.